अतुल्य भारत

मुंशी प्रेमचंद

जन्म प्रेमचन्द का जन्म ३१ जुलाई सन् १८८० को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम अजायब राय था। वह डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम करते थे। जीवन धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी तो माता के स्वर्गवास हो जाने के बाद से अपने जीवन के …

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Madan Mohan Malviya । युगपुरुष मदन मोहन मालवीय का प्रेरणादायक जीवन

अनेक महापुरुषों एवं विभूतियों ने भारतवर्ष को अपने श्रेष्ठ कार्यों एवं सद्व्यवहार से गौरवान्वित किया है।उन्ही में से एक महापुरूष, अपनी विद्वता, शालीनता, और विनम्रता की असाधारण छवी के कारण जन-जन के नायक थे। अंग्रेज जज तक उनकी तीव्र बुद्धि पर आश्चर्य प्रकट करते थे। अपने जीवन-काल में पत्रकारिता, वकालत, समाज-सुधार, मातृ-भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण …

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Sarojini Naidu। भारत कोकिला सरोजनी नायडू

अपने देश को आजादी दिलाने के लिए कई स्त्रियों ने कडा संघर्ष किया और उनमें सरोजनी नायडू का अपना अलग ही स्थान है। वह एक विदुषी और बहुआयामी व्यक्तित्व वाली स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनकी आवाज बेहद मधुर थी, इसी वजह से वह पूरे विश्व में भारत कोकिला के नाम से विख्यात हुई। कविता और क्रांति का संगम सरोजनी नायडू का …

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"जाला, जिसने सब को हिला डाला। "

अन्ना हजारे को किसी परिचय की आश्यकता नहीं है, अन्ना के जन लोकपाल बिल के आन्दोलन का असर देश के कोने कोने में देखने को मिला। अगर हम बात करे गुजरात की तो यहाँ अन्ना के आन्दोलन की कमान अहमदाबाद के मशहूर RTI कार्यकर्ता और समाजसेवी श्री भारत सिंग जहाला ने संभाली है। तो आईये आज हम आपको ऐसे ही समाजसेवी की जीवनी के …

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प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना

रानी लक्ष्मीबाई (१९ नवंबर १८२८ – १७ जून १८५८) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थीं। इनका जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में हुआ था। इनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था पर प्यार से मनु कहा जाता था। इनकी माता का नाम भागीरथी बाई तथा पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी …

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विपिनचंद्र पाल | इतिहास के पन्नो से निकलते सबक…

महान राष्ट्रवादी विपिनचंद्र पाल ने कहा था कि — ‘ देश को नया रिफार्म यानी सुधार नही चाहिए अपितु री— फ़ार्म यानी पुनर्गठन चाहिए | आज इस राष्ट्र को ऐसे ही पुनर्गठन की आवश्यकता है | इंग्लैंड को भारतीय सरकार की नीति — निर्माण का अधिकार छोड़ देना चाहिए | ‘ देश के इतिहास में , 1905 में अंग्रेज वायसराय …

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Lala Lajpat Rai । बिन केसरी तिरंगा

भारत की आजादी के आन्दोलन के प्रखर नेता लाला लाजपथ राय का नाम ही देशवासियों में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है। अपने देश धर्म तथा संस्कृति के लिए उनमें जो प्रबल प्रेम तथा आदर था उसी के कारण वे स्वयं को राष्ट्र के लिए समर्पित कर अपना जीवन दे सके। भारत को स्वाधीनता दिलाने में उनका त्याग, बलिदान …

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समर्पण की प्रतिमूर्ति शहीद सुखदेव थापर

भारत की जन्म भूमि वीर सपूतो की जननी रही है, जहाँ पर गाँधी, नेहरू, सुभाष बोस चन्द्र, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई ऐसे अनगिनत वीर सपूत हुए हैं। जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को अंग्रेजो की बेडियो से मुक्त कराया। आज उन्ही की बदौलत हम आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे है.गाँधी जयंती, नेहरू जयंती, सुभाष …

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दूसरों की खातिर शहीद होने की राह पर : शर्मीला इरोम

ऐसा कुछ नहीं हुआ है कि इरोम शर्मीला को याद किया जाए। दस साल पहले इरोम ने जिस सत्याग्रह की शुरूआत की थी वह वैसा ही है, कोई उतार चढ़ाव नहीं है, न तो मणिपुर की परिस्थितियों में और न ही इरोम की अडिग स्थिति में। लेकिन जब बात इरोम शर्मिला की शुरू हो तो याद रखिए कि उनको अवसरों …

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शादी से पहले पूरे शरीर पर इसे क्यों लगाते हैं?

विवाह में कई प्राचीन परंपराएं, रीति-रिवाज आदि का आज भी निर्वाह किया जाता है। शादी के पहले से ही कई प्रकार के नियमों का पालन किया जाता है। कुछ नियम वर और वधू दोनों के ही लिए समान रूप से लागू होते हैं। ऐसी ही एक परंपरा है दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाना। वर और वधू को हल्दी क्यों लगाई जाती …

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