अन्ना हजारे को किसी परिचय की आश्यकता नहीं है, अन्ना के जन लोकपाल बिल के आन्दोलन का असर देश के कोने कोने में देखने को मिला। अगर हम बात करे गुजरात की तो यहाँ अन्ना के आन्दोलन की कमान अहमदाबाद के मशहूर RTI कार्यकर्ता और समाजसेवी श्री भारत सिंग जहाला ने संभाली है। तो आईये आज हम आपको ऐसे ही समाजसेवी की जीवनी के बारे में बताते है, जिन्होंने अपना जीवन समाज और देश को समर्पित कर दिया है।
श्री भरत सिंह जाला ५० वर्षीय “नौजवान” है , नौजवान इसीलिए की उनका उत्साह किसी नौजवान से कम नहीं है। अन्याय और अत्याचार से लड़ने का जज्बा उनमे बचपन से ही था।
गुजरात के सुरेंद्रनगर के लिमडी तालुका में जन्मे भरत सिंह जाला ने साल १९८२ में अहमदाबाद की एक प्राइवेट कंपनी में नोकरी की शुरुआत की। कंपनी की नीतिओ के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए भी वह अपने सहकर्मीओ में मशहूर थे। साल २००२ में कंपनी ने ५००० कर्मियों की छटनी की,जिसके विरोध में जाला ने आवाज़ उठाई तो उन्हें भी नोकरी से निकाल दिया गया। तभी से उन्होंने अन्याय और अत्याचार से लड़ने का मन बना लिया और अपना जीवन देश को समर्पित का दिया।
श्री जाला ने अन्याय और अत्याचार से लड़ने की शुरुआत अहमदाबाद शहर के सिटीबस के ड्राईवर और कंडक्टर के वेतन बढ़ने की मांग को लेकर की। उन्होंने इसी के लिए संघर्ष किया और उन्हें न्याय दिलाया। साल २००५ में अहमदाबाद को मेगा सिटी बनाने के लिए उजाड़े गए ज़ोपद्पत्ति वालो का पुनर्वास करवाया। इसी साल आई बाढ़ से प्रभावित लोगो को राहत/सहायता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साल २००७ में किसानो द्वारा की जा रही आत्महत्या का मुद्दा और उनकी विधवाओ को मुआवजा दिलाने की व्यवस्था करवाई। साल २००९ में किसानो के मुद्दे पर आन्दोलन किया तथा जन समस्या को विधायको सहित मुख्यमंत्री तक को अवगत कराया। सूचना के अधिकार से उन्होंने अनेको मुद्दे सुलझाये और जनता को न्याय दिलाया। सूचना के अधिकार के तहत उनके द्वारा उठाए गए किसानो के मुद्दे को लेकर उनको साल २००७ में “राष्ट्रीय RTI मैन” का ख़िताब मिला।
आज भी जाला कई NGO के साथ मिलकर जनहित के कामो में जुटे हुए है। इनका नारा रहा है “समाज सेवा,जब तक जिन्दा हूँ। ” इनके बारे में जुमला मशहूर हे “जाला, जिसने सब को हिला डाला। “
आज हमे ऐसे ही देशभक्त, धरतीपुत्र और समाजसेवी की आवश्यकता है। जिन्होंने समाज को अन्याय और अत्याचार से लड़ने की नई राह दिखायी और अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया।
दीपक पद्मशाली
अहमदाबाद