जैन धर्म

जैन धर्म के अनमोल सूत्र

जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है. जैन कहते हैं उन्हें जो ‘जिन’ के अनुयायी हो. ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से. ‘जि’ माने जितना. जिन अर्थात् जितने वाला जिन्होंने अपने मन को जीत लिया है. अपनी वाणी को जीत लिया है. वे हैं ‘जिन’. जैन अर्थात ‘जिन’ भगवान को धर्म.  जैन धर्म का …

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रात्रिभोजन न करने के वैज्ञानिक कारण

रात में भोजन, पानी आदि ग्रहण करना जैन धर्म में निषेध हैं| इस निषेध के कई कारण हैं| कीटाणु और रोगाणु जिनको नग्न आंखों से देखना असंभव हैं, वे सूरज की रौशनी में गायब हो जाते हैं, वास्तव में नष्ट नहीं होते; वे छायादार स्थानों में शरण लेते हैं और सूर्यास्त के बाद; वे वातावरण में प्रवेश कर उसे व्याप्त …

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Principles of Jainism – जैन धर्म के सिद्धांत

निवृत्तिमार्ग जैन धर्म भी बौद्ध धर्म के समान निवृत्तिमार्गी था। संसार के समस्त सुख दु:ख मूलक हैं। मनुष्य आजीवन तृष्णाओं के पीछे भागता रहता है। वास्तव में यह मानव शरीर ही क्षणभंगुर है। जैन धर्म इन दु:खों से छुटकारा पाने हेतु तृष्णाओं के त्याग पर बल देता है। वह मनुष्यों को सम्पत्ति, संसार, परिवार आदि सब का त्याग करके भिक्षु …

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Jainism in the World – विश्व की दृष्टि में जैनधर्म

”महावीर स्वामी तो जैनों के आखिर के यानी 24 वें तीर्थं कर माने जाते हैं । उनसे हजारों साल पहले जैनविचार का जन्म हुआ था । ऋृगवेद में भगवान की प्रार्थना में एक जगह कहा है -‘ अर्हन इंद बयसे विश्त्रं अथवम् ”है अर्हन ! तुम जिस तुच्छ दिुनियाँ पर दया करते हो । इसमें ‘अर्हन’ और ‘दया’ दानों जैनों …

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Jainism History in Hindi – जैन धर्म का इतिहास

दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को श्रमणों का धर्म कहा जाता है. जैन धर्म का संस्थापक ऋषभ देव को माना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे और भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे. वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है. माना जाता है कि वैदिक साहित्य में जिन यतियों और व्रात्यों …

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