खेल के साथ खिलवाड़

कुछ दिनों पहले जो भी क्रिकेट जगत में हुआ वह न तो खिलाडियों के लिए सही था न ही क्रिकेट प्रेमियों के लिए ठीक था और न ही क्रिकेट जगत के लिए ही सही था। महज कुछ रुपये के लालच के कारण कुछ खिलाडियों ने क्रिकेट जैसे खेल को शर्मसार तो किया ही साथ ही साथ अपने देश को भी बदनाम कर दिया। एक क्रिकेट प्रेमी के लिए उसका पसंदीदा खिलाडी उसके लिए भगवान के जैसा होता है। क्रिकेट प्रेमी अपने देश के खिलाडी का हौसला बढ़ाने के लिए  साथ समुन्द्र पर तक पहुंच जाता है, लेकिन अगर वही खिलाडी महज खुछ रुपये की लिए अपने देश और क्रिकेट प्रेमियों के साथ खिलवाड़ करता है तो सोचिये उन प्रशंसको और उस देश पर क्या बीतेगी।

पिछले किछ दिनों पहले पाकिस्तान के कुछ खिलाडियों ने जो मैच फिक्सिंग किये उसने पाकिस्तान को शर्मसार तो किया ही साथ ही साथ पुरे दुनिया में क्रिकेट को चाहने वालो को सन्नकर के रख दिया। वैसे तो मैच फिक्सिंग का मामला कोई नया नही है। लन्दन की साउथवर्क अदालत ने पिछले वर्ष अगस्त में सामने आये स्पाट फिक्सिंग के मामले की गहन छानबीन करने के बाद पाकिस्तान के तीन खिलाडियों सलमान बट्ट, मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ को दोषी ठहराया और साथ ही साथ सट्टेबाज मजहर मजीद को भी दोषी ठहराते हुए सजा की घोसणा की। कोर्ट ने पाया कि सलमान बट्ट  के कहने पर ही मोहम्मद आसिफ ने नोबल फेकी थी। इसके बदले में दोनों ने सटोरियों से पैसे लिए थे। सजा सुनाने के पहले ही मोहम्मद आसिफ और मुहम्मद आमिर ने अपने दोष को कबूल कर लिया था। जिसके चलते उन्हें सजा में कुछ रियायत दी गई।  क्रिकेट इतिहास में यह फैसला खिलाडियों के लिए एक सीख होगा

दरअसल क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे करोड़ो लोग देखते है। जिससे इसकी लोकप्रियत को देखते हुए सटोरिये इस पर पैसे भी ज्यादा लगते है क्यों कि एक मैच से वह कई करोड़ रूपये कमा लेते है। दरअसल सटोरिये मैच कि हर बाल और हर गेंद के लिए सट्टा लगाते है। जिसके लिए वह खिलाडियों को पैसे का लालच देकर पहले से ही तय कर लेते है कि कितना रन बनाना है और कब आउट होना है और कौन से खिलाडी अपने ओवर में कितना रन देगा। ऐसे में यह फैसला उन खिलाडियों के लिए चेतावनी होगो जो महज कुछ रुपये के लिए अपने देश और क्रिकेट प्रेमियों के भावनाओ  के साथ खिलवाड़ तो  करते ही  है। साथ ही साथ अपना कैरियर को ख़त्म कर लेते है। ऐसे में ऐसे खिलाडियों को इस तरह का कदम उठाने से पहले यह फैसला  एक बार जरुर रोकेगा।

मैच फिक्सिंग का मामला कोई नया मामला नहीं है। इसके पहले कई मैच फिक्सिंग के मामले आ चुके है। जिसमे 2000  में दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हंसिए क्रोनिए पर लगा था। जिसके बाद उन पर मैच खेलने का प्रतिबंद भी लगा। ऐसे मामले में क्रोनिए इकलौते नहीं थे। उनके साथ उनके ही टीम के तीन अन्य खिलाड़ियों, हर्शल निकी बोए, गिब्स और पीटर स्ट्राएडम भी इस
मामले में शामिल थे। जिसका खुलासा दिल्ली पुलिस ने 7 अप्रैल 2000  को क्रोनिए और भारतीय सट्टेबाजी के बीच एक बातचीत के एक रिकॉर्डिंग के द्वारा किया।

इसके अलावा एक नया खुलासा तब हुआ जब  सलमान बट्ट के सजा के दौरान एक निजी चैनल में वीना मलिक और धीरज दीक्षित के बीच चल रहे बात चीत के दौरान स्पोर्ट्स फोटो जर्नलिस्ट धीरज दीक्षित ने कहा कि पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान फरहत वहां के सबसे ज़्यादा सक्रिय मैच फिक्सर था। इमरान फरहत के ससुर पाकिस्तान में चयनकर्ता रहे हैं। इसलिए वे आसानी से मैच फिक्सिंग करते रहे हैं। इमरान पूरी टीम को ऑपरेट करते थे। इमरान का एक रिश्तेदार लंदन में रहता जो मैच फिक्सिंग का पैसा लंदन में इकट्ठा करता था। जो इस बात कि तरफ इशारा करता है कि मैच फिक्सिंग का जाल कितना बड़ा और कितना पुराना है। जिसमें न जाने कितने ही लोग लिप्त है।

ऐसे में जरुरत है कि इस खेल को साफ सुथरा और दाग रहित बनाने के लिए सटोरिये और खेल में लिप्त खिलाडयों के प्रति कड़ा कदम उठाया जाय।  जिससे कोई इस तरह के काम के बारे में सोच भी न सके।  इसके लिए आईसीसी को कोई
ठोस कदम उठाना पड़ेगा।

मानेन्द्र कुमार भारद्वाज
इंडिया हल्ला बोल

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