जानें किन सुन्दर स्त्रियों की वजह से हुआ था महाभारत

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महाभारत में भूमि बंटवारा युद्ध का सबसे बड़ा कारण था। लेकिन दूसरे लोग मानते हैं कि बंटवारा शांतिपूर्वक हो सकता था लेकिन कुछ महिलाओं की जिद के कारण कौरवों और पांडवों के बीच कटुता बढ़ गई जिसके परिणामस्वरूप युद्ध हुआ।बहुत से लोग महाभारत युद्ध का दोषी महिलाओं को मानते हैं। धृतराष्ट्र और पांडु की माताएं अम्बिका और अम्बालिका काशी नरेन्द्र की पुत्रियां थी। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी और पांडु की पत्नी कुंती का जीवन बहुत ही संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन इन सबसे पहले अम्बिका और अम्बालिका के पति विचित्रवीर्य की माता सत्यवती का ही राजपाट और महल में दखल अधिक था। वही सारे फैसले लेती थी और भीष्म को उनकी बातें सुनना होती थी। उसके जाने के बाद सत्ता का केंद्र बदल गया।हालांकि कुछ लोग गंगा, सुभद्रा, लक्ष्मणा को भी युद्ध के कारणों में गिनते हैं। लेकिन असल में कौन- सी महिलाएं युद्ध का सबसे बड़ा कारण थी? आओ जानते हैं उन प्रमुख स्त्रियों को जिनके कारण महाभारत युद्ध हुआ।
सुभद्रा : सुभद्रा तो कृष्ण की बहन थी जिसने कृष्ण के मित्र अर्जुन से विवाह किया था, जबकि बलराम चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह कौरव कुल में हो। बलराम के हठ के चलते ही तो कृष्ण ने सुभद्रा का अर्जुन के हाथों हरण करवा दिया था। बाद में द्वारका में सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह विधिपूर्वक संपन्न हुआ। विवाह के बाद वे एक वर्ष तक द्वारका में रहे और शेष समय पुष्कर क्षेत्र में व्यतीत किया। 12 वर्ष पूरे होने पर वे सुभद्रा के साथ इंदप्रस्थ लौट आए।लक्ष्मणा : श्रीकृष्ण की 8 पत्नियों में एक जाम्बवती थीं। जाम्बवती-कृष्ण के पुत्र का नाम साम्ब था। साम्ब का दिल दुर्योधन-भानुमती की पुत्री लक्ष्मणा पर आ गया था और वे दोनों प्रेम करने लगे थे। दुर्योधन के पुत्र का नाम लक्ष्मण था और पुत्री का नाम लक्ष्मणा। दुर्योधन अपनी पुत्री का विवाह श्रीकृष्ण के पुत्र ने नहीं करना चाहता था। भानुमती सुदक्षिण की बहन और दुर्योधन की पत्नी थी। इसलिए एक दिन साम्ब ने लक्ष्मणा से प्रेम विवाह कर लिया और लक्ष्मणा को अपने रथ में बैठाकर द्वारिका ले जाने लगा। जब यह बात कौरवों को पता चली तो कौरव अपनी पूरी सेना लेकर साम्ब से युद्घ करने आ पहुंचे।कौरवों ने साम्ब को बंदी बना लिया। इसके बाद जब श्रीकृष्ण और बलराम को पता चला, तब बलराम हस्तिनापुर पहुंच गए। बलराम ने कौरवों से निवेदनपूर्वक कहा कि साम्ब को मुक्त कर उसे लक्ष्मणा के साथ विदा कर दें, लेकिन कौरवों ने बलराम की बात नहीं मानी। तब बलराम ने अपना रौद्र रूप प्रकट कर दिया। वे अपने हल से ही हस्तिनापुर की संपूर्ण धरती को खींचकर गंगा में डुबोने चल पड़े। यह देखकर कौरव भयभीत हो गए। संपूर्ण हस्तिनापुर में हाहाकार मच गया। सभी ने बलराम से माफी मांगी और तब साम्ब को लक्ष्मणा के साथ विदा कर दिया। द्वारिका में साम्ब और लक्ष्मणा का वैदिक रीति से विवाह संपन्न हुआ।

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