श्री साईं बाबा की आरती

Sri-Sai-Baba-wallpapers-015

आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है।आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती हैए जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख.समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

श्री साईं बाबा की आरती

आरती श्री साईं सुरवर की।

परमानन्द सदा सुरवर की ।।

जा की कृपा विपुल सुखकारी।
दुख, शोक, संकट, भयहारी।।

शिरडी में अवतार रचाया।
चमत्कार से तत्व दिखाया।।

कितने भक्त चरण पर आए।
वे सुख शान्ति चिरंतन पाए।।

भाव धरै जो मन में जैसा।
पावत अनुभव वो ही वैसा।।

गुरु की उदी लगावे तन को।
समाधान लाभत उस मन को।।

साईं नाम सदा जो गावे।
सो फल जग में शाश्वत पावे।।

गुरुवासर करि पूजा और सेवा।
उस पर कृपा करत गुरुदेवा ।।

राम, कृष्ण, हनुमान रूप में।
दे दर्शन, जानत जो मन में।।

विविध धर्म के सेवक आते।
दर्शन कर इच्छित फल पाते।।

 

Check Also

Shanivar Vrat Katha। शनिवार व्रत कथा

अग्नि पुराण के अनुसार शनि ग्रह की से मुक्ति के लिए “मूल” नक्षत्र युक्त शनिवार …