अब फेसबुक अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बड़े बदलाव करने जा रही है। कंपनी के चीफ प्राइवेसी ऑफिसर एरिन एगन ने ऐसे बदलावों का एलान किया है, जिनसे यूजर्स अपनी पर्सनल जानकारी पर ज्यादा कंट्रोल कर पाएंगे।
इसके अलावा फेसबुक पर प्राइवेसी सेटिंग्स और मैन्यू को भी आसान बनाया जा रहा है, ताकि यूजर्स आसानी से अपनी प्राइवेसी में बदलाव कर सकें।यूजर प्राइवेसी के लिए डेटा मैनेजमेंट को आसान बनाने के साथ ही सेटिंग मैन्यू को रिडिजाइन किया जा रहा है।
दूसरा बदलाव:आने वाले हफ्तों में कंपनी अपनी टर्म ऑफ सर्विस और डेटा पॉलिसी को अच्छी तरह से यूजर्स के सामने रखेगी और ये बताएगी कि उनकी किस तरह की जानकारी ली जा रही है और उसका क्या उपयोग किया जा रहा है।
तीसरा बदलाव:चीफ प्राइवेसी ऑफिसर एरिन एगन ने कहा कि हमें ये फीडबैक मिला था कि फेसबुक की प्राइवेसी सेटिंग्स और अन्य जरूरी टूल्स को ढूंढ़ना मुश्किल होता है, और हमें लोगों की इस परेशानी को दूर करने की जरूरत है।
चौथा बदलाव:फेसबुक में नई प्राइवेसी शॉर्टकट मैन्यु भी बनाए जा रहे हैं जिनसे यूजर्स को अपने अकाउंट और पर्सनल इंफॉर्मेशन पर पहले से ज्यादा कंट्रोल रहेगा।
पांचवा बदलाव:इस सुविधा के बाद यूजर्स अपने डेटा को रिव्यू भी कर पाएगा और जरूरत पड़ने पर शेयर किए गए डेटा को डिलीट भी कर सकेगा, इसमें पोस्ट और सर्च क्वेरीज़ भी शामिल होंगी।
छठा बदलाव: यूजर फेसबुक के साथ शेयर किए डेटा को भी डाउनलोड कर सकेंगे। इसमें अपलोड किए गए फोटो, कांटेक्ट्स और टाइमलाइन पर मौजूद पोस्ट को डाउनलोड किया जा सकेगा।
जकरबर्ग ने 22 मार्च को न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चुनाव की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए फेसबुक के सिक्युरिटी फीचर्स में और इजाफा किया जाएगा। बकौल जकरबर्ग हम 2018 में अमेरिका में होने वाले चुनावों पर ही नजर नहीं रख रहे।
भारत समेत अन्य जगहों पर भी इस साल होने वाले आम चुनाव हमारे लिए अहमियत रखते हैं।हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि फेक न्यूज न फैलाई जाए। हम हर चीज के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम भरोसा दिलाते हैं कि फेसबुक की सुरक्षा कायम रहेगी ताकि चुनावों की विश्वसनीयता बनी रहे।
इससे पहले माफी मांगते हुए उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि यूजर्स की डाटा सीक्रेसी को लेकर मेरी कंपनी ने गलती की है। किसी के पर्सनल डाटा का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।बता दें कि अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया ने दावा किया है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा का यूएस इलेक्शन में गलत इस्तेमाल किया था।