केंद्र सरकार ने एअर इंडिया की 76% हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। यह जानकारी एअर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश पर जारी किए गए सूचना ज्ञापन में में दी गई है। इसके मुताबिक, सरकार जल्द ही एयरलाइंस का प्रबंधन प्राइवेट कंपनियों को सौंप सकती है।
बता दें कि एअरइंडिया पर 50 हजार करोड़ रूपए का कर्ज है और पिछले 6 सालों से एयरलाइन्स सरकार के बेलआउट पैकेज पर चल रही है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एअर इंडिया और उसकी दो सहायक कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) की मांग की है।
इसमें विदेशी एयरलाइंस भी आवेदन कर सकती हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के पास एयरलाइन की 26% हिस्सेदारी रहेगी। वहीं, सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी को कम से कम 3 साल तक निवेश बनाए रखना होगा।
ज्ञापन के मुताबिक, सरकार एअर इंडिया के 76 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी को बंद करने और प्रबंधन को ट्रांसफर करने की योजना बना रही है। ज्ञापन में कहा गया है कि प्रबंधन या कर्मचारी बोली में सीधे तौर पर भाग ले सकते हैं या एक कंर्सोटियम बनाकर हिस्सा ले सकते हैं।
अर्नेस्ट एंड यंग एलएलपी इंडिया को रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के लिए लेनदेन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि इस सौदे में एअर इंडिया, कम लागत वाली एअर इंडिया एक्सप्रेस और एअरइंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड शामिल होगी।
जून 2017 में, आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने एयरलाइन के विनिवेश के लिए मंजूरी दी थी, जिस पर 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है। इस फैसले के क्रम में विशिष्ट मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एअरइंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मेकैनिज्म (एआईएसएएम) की स्थापना की गई थी।