उपवास पर बैठे शिवराज सिंह ने की किसानों से शांति की अपील

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने BHEL दशहरा मैदान पर अनिश्चितकालीन उपवास शुरू कर दिया। उन्होंने किसानों को समस्याओं पर चर्चा के लिए खुला न्योता दिया। शिवराज ने कहा जब-जब प्रदेश में किसानों पर संकट आया, मैं सीएम आवास से निकलकर उनके बीच पहुंच गया। हम नया आयोग बनाएंगे जो फसलों की सही लागत तय करेगा।

उस लागत के हिसाब से हम किसानों को सही कीमत दिलाएंगे। किसान आग न लगाएं, चर्चा के लिए आएं। करीब 45 मिनट के अपने भाषण के दौरान शिवराज ने एक भी बार कांग्रेस का नाम नहीं लिया, जिसके दो नेताओं के वीडियो हाल ही में वायरल हुए थे। इन वीडियो में कांग्रेस नेता गाड़ियों में आग लगाने और थाना जलाने के लिए लोगों को भड़काते सुने गए थे।

इस बीच, प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा किसानों के कर्ज माफ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता, मैं पहले भी इसके पक्ष में नहीं था और अब भी नहीं हूं।अनशन से पहले शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह ने पूर्व सीएम कैलाश जोशी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। जोशी ने तिलक कर सफल होने की शुभकामनाएं दी।

सीएम के उपवास के लिए दशहरा मैदान पर वाटरप्रूफ पंडाल बनाया गया। मंदसौर में फिलहाल हालात नॉर्मल हैं। उधर, होम मिनिस्ट्री ने सभी पड़ोसी राज्यों को अलर्ट किया है। हिंसा में घिरे इलाकों में सुरक्षा के लिए कुल 13 कंपनियां तैनात की गई हैं।अनशन की शुरुआत करते हुए शिवराज ने कहा प्रदेश में हर वर्ग का कल्याण होना चाहिए।

हमारा एक ही लक्ष्य रहा है- प्रदेश का विकास। मुख्यमंत्री बनते समय मेरी प्राथमिकता किसान भाई-बहन रहे। प्रदेश को आगे बढ़ाना है तो खेती को आगे बढ़ाना है। मुख्यमंत्री बना तो साढ़े सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी। अब ये रकबा 40 लाख हेक्टेयर तक बढ़ चुका है।
-खेतों में पानी पहुंचाने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी।

हमने 18% कर्ज घटाकर 0% कर दिया। -10% पर लोन दिया। जब संकट की घड़ी आई, मैं कभी सीएम आवास पर नहीं बैठा, खेतों में गया। किसानों को पर्याप्त राहत देने की कोशिश की। पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब हुई थी, हमने 4800 करोड़ का मुआवजा दिया।मालवा रेगिस्तान बनने की दिशा में बढ़ रहा था। हमने नर्मदा ले जाकर ये सुनिश्चित किया कि मालवा रेगिस्तान ना बने।

दुनिया में सिर्फ मध्य प्रदेश में ऐसा होता है कि एक लाख ले जाओ, खाद-बीज के लिए और 90 हजार ही वापस करो।पिछले साल प्याज के दाम गिर गए थे। तब मैंने तय किया कि प्याज 6 रुपए किलो खरीदा जाएगा। इस साल भी बंपर फसल आई है। अन्न के भंडार भर गए हैं। जब उत्पादन बंपर होता है तो कीमत गिरती है। इससे किसान को नुकसान होता है।

इससे किसान को तकलीफ होती है। इसलिए हमने फैसला किया कि पूरा प्याज 8 रुपए किलो खरीदा जाएगा।उन्होंने कहा किसान की मेहनत और परिश्रम को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा। किसान को लाभकारी मूल्य देने में मध्य प्रदेश सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मर्जी के बिना किसान की जमीन नहीं ली जाएगी। किसान विरोध मुद्दों को ऑर्डिनेंस लाकर बदला जाएगा।

चेक पेमेंट में परेशानी आई तो किसान चेक लेकर घूमता रहा। हमने फैसला किया कि आरटीजीएस से पेमेंट किया जाएगा। किसानों को लाभकारी मूल्य देना मध्य प्रदेश में सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए केंद्र द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैदावार ली जाएगी। इसके अलावा हमने एक आयोग बनाने का फैसला किया है जो किसान की लागत का आकलन कर यह तय करेगा कि किसान को लाभकारी मूल्य दिया जा सके। 

सही कीमत देने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष बना रहे हैं। इसके लिए 1 हजार करोड़ का कोष बनाया जा रहा है। एक बड़ी विसंगति है कि किसान बेचता है तो सस्ता बिकता है। उपभोक्ता को महंगा मिलता है। मेरी कोशिश रहेगी कि 8% आढ़त को घटाकर 2% किया जाए।भविष्य में हम ये कोशिश करेंगे कि किसान और उपभोक्ता के बीच कोई बिचौलिया ना रहे जिससे किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिल सके।

शिवराज ने कहा आंदोलन तब जायज है जब सरकार ना सुने। जब मुख्यमंत्री कह रहा है कि आइए चर्चा करेंगे। चर्चा करके समाधान निकालेंगे। तो किसान चर्चा के लिए आएं।मेरी एक वीडियो क्लिपिंग चलाई गई। उससे किसानों को भड़काया गया कि मैं एक धेला नहीं दूंगा। मैंने किसानों के लिए ऐसा कभी नहीं कहा। मैंने ग्रामोदय अभियान के दौरान जो कहा था, उसे किसानों से जोड़ दिया गया।

तब मैंने कर्मचारियों से कहा था- हड़ताल करने से क्या होगा, एक धेला नहीं दूंगा। जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना मंदसौर जिले में हुई, उससे मैं अंदर तक हिल गया।मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा जो जैसा व्यवहार करेगा, उसके साथ वैसे ही निपटा जाएगा। यह आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा। राहुल गांधी यहां क्यों आए थे, उनका जन्म मप्र में हुआ है क्या?

किसानों के कर्ज माफी का कोई सवाल ही नहीं उठता, मैं पहले भी इसके पक्ष में नहीं था और अब भी नहीं हूं।जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए खुला मंच दिया है। वे यहां आकर अपनी समस्या रख सकते हैं।राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि ये सरकार किसानों की है। हम हरसंभव मदद के लिए तैयार हैं। किसानों से अपील है कि वे शांति बनाए रखें और सीएम के सामने अपनी मांगें रखें।

विपक्ष ने सीएम के उपवास और दशहरा मैदान से सरकार चलाने के फैसले को महज नौटंकी करार दिया है। कांग्रेस का कहना है कि चौहान को नौटंकी करने के बजाय किसानों की समस्याओं को सुनकर उन्हें दूर करना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा खुद को संवेदनशील मुख्यमंत्री बताने वाले चौहान छह किसानों की मौत के बाद मंदसौर नहीं गए, यहां तक कि बालाघाट में एक पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में 25 लोगों की मौत के बाद उन्होंने वहां भी जाना मुनासिब नहीं समझा।

वे सिर्फ नौटंकी और मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते रहे हैं। उपवास भी इसी का हिस्सा है।महाराष्ट्र के बाद जून की शुरुआत में मध्य प्रदेश में भी किसानों ने आंदोलन शुरू किया।मध्य प्रदेश के किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज माफी दी जाए, फसलों पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिले, जमीन के बदले मुआवजे पर कोर्ट जाने का हक मिले और दूध के रेट बढ़ाए जाएं। 

सबसे पहले 3 जून को इंदौर में यह आंदोलन हिंसक हो गया था। बाद में मंदसौर, उज्जैन और शाजापुर जैसे राज्य के बाकी हिस्सों में फैल गया।मंदसौर में पुलिस की फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई। शुक्रवार को यह हिंसक आंदोलन राजधानी भोपाल के पास फंदा तक पहुंच गया।इसके बाद शिवराज ने शुक्रवार रात फैसला किया कि वे शनिवार को अनशन करेंगे।

उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा कि वे भोपाल के भेल दशहरा मैदान में आएं और मुझसे बात करें।सीएम चौहान ने किसानों पर केस खत्म करने, जमीन मामले में किसान विरोधी प्रावधानों को हटाने, फसल बीमा को ऑप्शनल बनाने, मंडी में किसानों को 50% कैश पेमेंट और 50% आरटीजीएस से देने का एलान किया था। 

यह भी कहा था कि सरकार किसानों से इस साल 8 रु. किलो प्याज और गर्मी में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदेगी। खरीदी 30 जून तक चलेगी।
सरकार ने यह भी एलान किया था कि एक आयोग बनेगा जो फसलों की लागत तय करेगा। उस पर किसानों को फायदा होने लायक कीमत मिले, यह सरकार सुनिश्चित कराएगी।

इससे पहले मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई में 1998 में किसानों ने इस तरह का आंदोलन किया था। 12 जनवरी 1998 को प्रदर्शन के दौरान 18 लोगों की मौत हुई थी। दरअसल, मुलताई में उस वक्त किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन हुआ था। किसान बाढ़ से हुई फसलों की बर्बादी के लिए 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे और कर्ज माफी की मांग कर रहे थे। उस वक्त राज्य में कांग्रेस सरकार थी।

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