पूर्व चुनाव आयुक्त कहते हैं कि स्मृति ईरानी का मामला कोई विरला मामला नहीं है, बल्कि चुनाव में गलत हलफनामे के मामले बड़ी संख्या में सामने आते हैं.उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग को अधिकार नहीं होने से इस तरह के मामलों में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती. हालांकि एक पूर्व चुनाव अधिकारी ने कहा कि कानून ऐसा हो जिसमें गलत हलफनामे वाले व्यक्ति के चुनाव को निरस्त करने की बात शामिल हो.चर्चित चुनाव अधिकारी रहे केजे राव ने पूछने पर कहा कि गलत हलफनामें वाले मामलों में चुनाव आयोग के हाथ बंधे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी वाले मामले में भी कोर्ट चुनाव आयोग से कुछ नहीं पूछेगा.
राव ने कहा कि चुनाव आयोग हमेशा से चाहता रहा है कि गलत हलफनामा देने वाले व्यक्ति के चुनाव को अयोग्य घोषित कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून में चुनाव आयोग को ऐसे अधिकार देने वाला संशोधन नहीं किया जाएगा क्योंकि राजनीतिक दल ऐसा कभी नहीं चाहेंगे. जब उनसे पूछा गया कि स्मृति ईरानी के मामले में क्या संभावित है तो उन्होंने कहा कि वैसे कानून में जुर्माने और सजा दोनों का प्रावधान है.
पूर्व चुनाव अधिकारी राव ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि स्मृति ईरानी को सजा हो सकेगी. वह कहते हैं कि पहले किसी को ऐसे मामले में सजा हुई हो, यह उन्हें याद नहीं आता. उन्होंने कहा कि कानून में जुर्माने का उल्लेख है, पर यह कितना हो सकता है, यह नहीं बताया है.केजे राव कहते हैं कि जुर्माना अगर एक लाख रुपए भी हो जाए तो स्मृति ईरानी पर फर्क क्या पड़ेगा.उन्होंने कहा कि राजनेताओं के पास धन की कमी नहीं है, इसलिए कम या अधिक जुर्माने से इस विषय पर कुछ भी हासिल नहीं होगा.