हम में से कई “नदी में सिक्के फेंकते हैं” आपने अपने सह – यात्रियों को भी नदी में सिक्के फेंकते देखा होगा, खासकर ट्रेन जब नदी के पुल पर से गुजरती है।
संभावित कारण: इस कार्य के लिए दिया सामान्य तर्क है कि, यह गुड लक वापस लाता है हमारे लिए यह भी माना जाता है कि इससे हमारे परिवार में धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है
वैज्ञानिक कारण: प्राचीन समय में, मुद्रा को तांबे का बनाया जाता था जो आज के स्टेनलेस स्टील के सिक्के के विपरीत बनाया गया था । हम में से अधिकांश ने भी आन्ना (तांबे की बनी मुद्रा) देखा होगा । यह भारत स्वतंत्र समय से पहले इस्तेमाल किया जाता था। आपको पता है की कॉपर एक महत्वपूर्ण धातु है जो मानव शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। पानी के साथ तांबे का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है नदी में सिक्के फेंक कर उसमें कॉपर की मात्रा को बढ़ाया जाता था । एक तरह से हमारे सामने पानी के रूप में हमारे सेवन में पर्याप्त तांबे सुनिश्चित किया गया था। उस समय नदियां ही पीने के पानी का एकमात्र स्रोत थी । इसीलिए नदी में सिक्के डालने का रिवाज़ शुरू हो गया । और वैसे भी इसे गुड लक माना भी जा सकता है क्यूंकि इससे हमारा स्वास्थय ठीक जो रहता है ।
“रीति-रिवाजों और विज्ञान में जो कुछ भी कहा गया है वह मेरी व्यक्तिगत विचार हैं।”
मुकेश भाटीवाल