वैज्ञानिकों ने किया हवन प्रक्रिया पर शोध

 

समय समय पर हिन्दू रीति रिवाज़ पर शोध होता आया। हिन्दुओं के पूजा-पाठ करने के तरीके को विज्ञान ने हमेशा बारीक निगाहों से परखा है। आज बात इसलिये उठी है क्योंकि हाल ही में केरल के एक दूर-दराज के गाँव में वैज्ञानिकों ने यज्ञ से होने वाले फ़ायदे पर शोध किया है। हिन्दुत्व विज्ञान से किस कदर जुड़ा हुआ है यह शोध इसी बात को दर्शाता है।

अतिरत्रम नामक यज्ञ चार से पन्द्रह अप्रैल के बीच त्रिसूर जिले के पन्जल गाँव में सम्पन्न हुआ। करीबन चार हजार वर्षों से यह पर्व मनाया जा रहा है। कोच्ची विश्वविद्यलय के प्रो. वी,पी.एन.नामपुरी के नेतृत्व में एक वैज्ञानिक दल ने इस पूरे पर्व से जुड़े हुए हर वैज्ञानिक पहलू को देखा।

उन्होंने इस हवन के दौरान वातावरण, मिट्टी व सूक्ष्म जीवों पर होने वाले असर पर शोध किया। ऐसा माना जा रहा है कि इस हवन के पश्चात बीज अंकुरित होने वाली प्रक्रिया में तीव्रता से बढ़ोतरी हुई है एवं अग्नि अनुष्ठान के क्षेत्र में और उसके चारों ओर हवा, पानी और मिट्टी में माइक्रोबियल उपस्थिति बेहद कम हुई है।

दल ने अनुष्ठान आरम्भ होने से पहले ही लोबिया, हरा चना व बंगाल ग्राम के बीज स्थल के चारों ओर बो दिये थे। पन्द्रह अप्रैल के बाद में जाँच में उन्होंने पाया कि स्थल के सबसे नज़दीक बोये गये बीज सबसे बेहतरीन स्थिति में थे। बंगाल ग्राम के पौधे तो 2000 गुना से अधिक की तेजी से उगे।

नामपुरी के अनुसार लगातार मंत्र-उच्चारण से जो ध्वनि उत्पन्न हुई उससे बीज-अंकुरित होने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिला। वे कहते हैं कि इस शोध से वैदिक प्रक्रिया पर प्रश्न चिह्न उठाने व इसे अंधविश्वास से जोड़ने वाले लोगों तक हमारा मत पहुँचाने में सहायता मिलेगी और इस शोध के नतीजे से हम वातावरण की बेहतरी के लिये कदम उठा सकेंगे।

इस टीम ने यज्ञशाला के 500 मीटर से लेकर डेढ़ कि.मी. तक की दूरी का निरीक्षण किया तो पाया कि शाला के नज़दीक की वायु सबसे अधिक स्वच्छ थी व बैक्टीरिया की संख्या सबसे कम।

हवन प्रक्रिया से होने वाले फ़ायदे पर यह पहला शोध नहीं था। वैज्ञानिकों के बीच यह प्रक्रिया हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है। हवन सामग्री में जो जड़ी बूटियाँ मिलाई जाती हैं उनसे न केवल वायु स्वच्छ होती है अपितु शरीर में रक्त संचार ठीक होता है व त्वचा से जुड़ी बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं।

हिन्दुत्व किसी धर्म से नहीं जुड़ा अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। प्राचीन काल से हम इससे जुड़ हुए हैं। मंदिर की घंटी बजाना,मंत्र उच्चारण करना, हवन करना, दीपक जलाना, सूर्य को जल चढ़ाना इत्यादि अनेकानेक कार्य हम प्रतिदिन करते हैं और हम भूल जाते हैं कि ये सभी हिन्दू रीति-रिवाज़ से तो जुड़े हैं हीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।

इंडिया हल्ला बोल

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