HOMEMADE REMEDIES FOR INDIGESTION । अपच के घरेलू उपचार के बारे में जानिए

कहा जाता है कि यदि पेट दुरुस्त हो तो शरीर की अधिकतर बीमारियों को दूर किया जा सकता है। कब्ज, अपच, बदहजमी और गैस पेट से संबंधित समस्याएं हैं जिससे घर का कोई न कोई सदस्य परेशान रहता है। इस लेख के जरिए अजीर्ण या अपच के कारण और उसके उपचार के बारे बताया जाएगा। कई बार समय-असमय भोजन करने से, कभी-भी, कहीं-भी, कुछ-भी खाने तथा बार-बार खाते रहने से पहले खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है और दूसरा भोजन पेट में पहुंच जाता है।

ऐसे में पाचन तंत्र भोजन को पूर्ण रूप से नहीं पचा पाता जो अपच का मुख्य कारण है। भोजन का ठीक प्रकार से न पचना अजीर्ण या अपच कहलाता है| यह एक ऐसी दशा है जिसके कारण छोटे-मोटे कई रोग मनुष्य को घेर लेते हैं| यदि यह व्याधि काफी दिनों तक बराबर बनी रहती है तो शरीर में खून बनना बंद हो जाता है| इसलिए इस रोग को साधारण नहीं समझना चाहिए| इस रोग की सबसे बड़ी खराबी यह है कि यह पुराना पड़ते ही रोगी को कमजोर कर देता है| इसलिए रोग का पता चलते ही इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए|

अजीर्ण (अपच) का कारण :- यह रोग समय-कुसमय गरिष्ठ एवं अधिक भोजन करने, बिना चबाए भोजन जल्दी-जल्दी निगल जाने, चाय, शराब आदि का अधिक मात्रा में सेवन करने, शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम अधिक करने या बिलकुल न करने के कारण हो जाता है| जो लोग खटाई, तेल, अचार, मिर्च-मसाले आदि अधिक खाते हैं, उनको भी यह रोग हो जाता है| आजकल ज्यादातर लोग गंदे वातावरण की चिन्ता न करके आपा-धापी का जीवन बिताते हैं| इसी प्रकार दूषित एवं अस्वास्थ्यकर मकान में रहने, कसे वस्त्र पहनने तथा घी-तेल की चीजें अधिक मात्रा में खाने के कारण भी अपच की बीमारी हो जाती है|

अजीर्ण (अपच) की पहचान :- इस रोग में भूख नहीं लगती| भोजन हजम नहीं होता| लगता है, जैसे पेट में कुछ रखा हुआ है| पेट फूल जाता है, जी मिचलाता है और कब्ज की शिकायत हो जाती है| मुंह में पानी भर जाता है तथा पेट में हर समय हल्का-हल्का दर्द होता रहता है| खट्टी-खट्टी डकारें आना, जी मिचलाना, पेट में गैस बनना, सांस में दुर्गंध निकलना, जीभ पर मैल जम जाना, पेट फूलना आदि अजीर्ण रोग के प्रमुख लक्षण हैं| कभी-कभी रोगी को घबराहट भी हो जाती है|

अजीर्ण (अपच) के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:- पपीता:- आधा चम्मच कच्चे पपीते का दूध जरा-सी चीनी के साथ सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है|

मूली, सेंधा नमक, अजवायन और कालीमिर्च, नीबू:- कच्ची मूली के टुकड़ों पर थोड़ा-सा सेंधा नमक, पिसी हुई कालीमिर्च तथा अजवायन का चूर्ण बुरक लें| ऊपर से आधा नीबू निचोड़कर मूली को भोजन के बाद चबा-चबाकर खाएं| भोजन पचाने का यह रामबाण नुस्खा है|

लौंग, हरड़ और सेंधा नमक:- दो लौंग, एक हरड़ का चूर्ण तथा एक चुटकी सेंधा नमक-इन सबका काढ़ा बनाकर सेवन करें|

प्याज और सेंधा नमक:- प्याज के रस में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से अपच की शिकायत जाती रहती है|

धनिया, काला नमक और कालीमिर्च:- 10 ग्राम सुखा धनिया, चार-पांच कालीमिर्च तथा दो चुटकी काला नमक-तीनों को पीसकर गरम पानी के साथ भोजन के बाद सेवन करें|

जीरा, कालीमिर्च, सोंठ और सेंधा नमक:- 10 ग्राम जीरा, 5 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम सोंठ का चूर्ण तथा 3 ग्राम सेंधा नमक – इन सबको पीसकर चूर्ण बनाकर शीशी में भरकर रख लें| भोजन के पश्चात् एक चम्मच चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित रूप से लें| इससे अपच की शिकायत जाती रहेगी|

जीरा, सेंधा नमक और कालीमिर्च:- तवे पर भुना हुआ जीरा, सेंधा नमक तथा कालीमिर्च उचित मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें| इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मट्ठे या दही के साथ सेवन करें|

देशी कपूर, अजवायन और पुदीना:- देशी कपूर 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम तथा पुदीना 10 ग्राम – तीनों को पीसकर चटनी बना लें| इसमें से एक चम्मच चटनी दोनों वक्त भोजन के बाद सेवन करें|

लहसुन, अदरक, धनिया और कालीमिर्च, जीरा:- दो कलियां लहसुन, एक टुकड़ा अदरक, थोडा-सा हरा धनिया, कालीमिर्च 3 ग्राम, जीरा 5 ग्राम और नामक 3 ग्राम – सबको पीसकर चटनी बना लें| इस चटनी का प्रयोग भोजन के साथ करें|

मूली और शक्कर:- मूली के रस में शक्कर मिलाकर पीने से अफरा तथा अपच दोनों दूर हो जाते हैं|

प्याज और नीबू:- प्याज काटकर उस पर थोड़ा-सा नीबू निचोड़ लें| इसे नित्य भोजन के साथ सेवन करें|

दही, मट्ठा, जीरा, नमक, और कालीमिर्च:- दही या मट्ठे में आधा चम्मच भुना हुआ जीरा, आधा चम्मच नमक तथा आठ-दस कालिमिर्चों का चूर्ण पीसकर मिला लें| यह मट्ठा भोजन के बाद पिएं|

सोंठ, हींग , कालीमिर्च और काली जीरी:- सोंठ, हींग, कालीमिर्च तथा काली जीरी का समभाग लेकर चूर्ण बना लें| इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण गरम पानी से सुबह-शाम लें|

केला:- केले की सब्जी या पके केले खाने से अपच दूर होता है| पके केले कम से कम तीन अवश्य खाने चाहिए|

पीपल और नीबू:- थोड़ी-सी पीपल खरल करके नीबू के रस में मिलाकर उसे भोजन करने के बाद सेवन करें|

हींग और पानी:- हींग को पानी में भिगोकर नाभि पर रखने से डकार आ जाती है और गैस बाहर निकल जाती है|

धनिया और मिश्री:- धनिया तथा मिश्री का काढ़ा दिन में चार बार पीने से बदहजमी की शिकायत दूर हो जाती है|

कुलथी:- कुलथी के पत्तों का रस पीने से अपच दूर हो जाता है|

जामुन:- जामुन की छाल लेकर सुखा लें| फिर उसे पीसकर चूर्ण बना लें| एक चम्मच चूर्ण नित्य खाने से खट्टी डकारें तथा अपच की व्याधि दूर हो जाती है|

राई और मेथी:- एक चम्मच राई में आधा चम्मच मेथी के दाने मिलाकर साबुत ही मट्ठे या गरम पानी से निगल जाएं|

टमाटर, कालीमिर्च और सेंधा नमक:- टमाटर का रस आधा कप लेकर उसमें दो चुटकी सेंधा नमक और चार-पांच कालीमिर्च का चूर्ण मिला लें| इसके सेवक से अजीर्ण दूर हो जाता है|

नारंगी, काला नमक और सोंठ:- नारंगी की फांक पर काला नमक और पीसी हुई सोंठ डालकर सेवन करने से अपच ठीक होता है|

हरड़, लौंग और नमक:- छोटी हरड़, लौंग तथा नमक का काढ़ा बनाकर पीने से भी अपच दूर हो जाता है|

तुलसी, कालीमिर्च, सोंठ और अजवायन:- तुलसी के चार-पांच पत्ते, चार दाने कालीमिर्च, एक चम्मच सोंठ, एक चम्मच अजवायन तथा जरा-सा सेंधा नमक-सबको मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करें|

अजीर्ण (अपच) में क्या खाएं क्या नहीं:- हरी सब्जियां जैसे – मूली, पालक, मेथी, लौकी, तरोई, परवल आदि का सेवन करें| रेशे वाली चीजें अधिक मात्रा में खाएं| आटे की रोटी के साथ चोकर की रोटी भी खाएं| दोपहर के भोजन के बाद आराम तथा रात्रि के भोजन के बाद एक-दो किलोमीटर तक टहलने का कार्यक्रम बनाएं| मिर्च, मसाले, गरिष्ठ भोजन, मछली, शराब, अंडा आदि का सेवन न करें|

यदि अजीर्ण पुराना हो तो गेहूं की दलिया, मूंग की दाल, छाछ, पतली रोटी आदि के सिवाय और कुछ न खाएं| दिन में चार-पांच गिलास पानी जरूर पिएं| जाड़े की ऋतु में गुनगुना पानी पी सकते हैं| फ्रिज में रखा भोजन, साग-सब्जी, दाल आदि न खाएं| सदैव ताजा तथा पौष्टिक भोजन करें|

मन में क्रोध, ईर्ष्या, तनाव, अधिक धन कमाने की लालसा आदि को बिलकुल न आने दें| प्रत्येक कार्य काफी सोच-समझकर और धैर्य के साथ करें| मन के विचारों का सीधा प्रभाव पेट पर पड़ता है| फास्ट फूट कभी न खाएं| प्रतिदिन शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करें|  

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