HOMEMADE REMEDIES FOR ARTHRITIS (JOINT PAIN) :- उम्र बढ़ने पर अक्सर लोगों को गठिया की शिकायत होने लगती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बॉडी में यूरिक एसिड की अधिकता होना होता है। जब यूरिक एसिड बॉडी में ज्यादा हो जाता है तो वह शरीर के जोड़ो में छोटे – छोटे क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है इसी कारण जोड़ो में दर्द और ऐंठन होती है। गठिया को कई स्थानों पर आमवत भी कहा जाता है।
क्या है गठिया? जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं। यह कई तरह का होती है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि।
जोड़ों का दर्द एक आम समस्या है। इसे अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। हालाँकि यह समस्या अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा होती हैलेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है। इस रोग में जोड़ों में दर्द होता है , सूजन आ जाती है। हिलने डुलने , बैठने उठने , सीढ़ी चढ़ने आदिमें परेशानी होने लगती है। जोड़ों का यह दर्द हर एक को अलग प्रकार से परेशान कर सकता है ।
जैसे किसी को कभी दर्द होता है तो कभी ठीक हो जाता है। किसी को कम या किसी को ज्यादा होता है। किसी किसी को कई सालों तक परेशान कर सकता है तो किसी को थोड़े समयबाद ठीक भी हो जाता है। किसी किसी को यह दर्द बद से बदतर होता चला जाता है।गठिया एक विचित्र और कष्टप्रद रोग है| यह अधिकतर प्रौढ़ावस्था और बुढ़ापे में ही होती है| परन्तु कभी-कभी छोटी उम्र में भी यह बहुत से मनुष्यों को हो जाती है|
गठिया (जोड़ों का दर्द) का कारण :- यह रोग आर्द्र तथा उष्ण स्थानों में रहने वाले स्त्री-पुरुषों को अधिक होता है| यह वंशानुगत मन जाता है| एक बार इसका आक्रमण हो जाने के बाद, यदि व्यक्ति ठीक भी हो जाता है, तो दोबारा इस रोग के आक्रमण का भय रहता है| मशीन का कुटा चावल अधिक मात्र में खाने, मेदा, खोया (मावा), चीनी, गरम वे तेज मसाले, चाट, अण्डे, शराब, मछली आदि का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने वाले व्यक्तियों को यह रोग होता है| जो लोग शक्ति से अधिक मेहनत करते हैं| और फिर अचानक छोड़ देते हैं, उनको भी गठिया का रोग लग जाता है|
गठिया (जोड़ों का दर्द) की पहचान :- जोड़ों का दर्द, भोजन का अच्छा न लगना, प्यास अधिक लगना आलस्य, शरीर में भारीपन, कभी-कभी बुखार की शिकायत, खाया भोजन न पचना, किसी अंग का शून्य हो जाना तथा संधियों में असहनीय दर्द होना आदि गठिया के मुख्य लक्षण हैं| कभी-कभी अंगों को छूने तथा हिलाने से भी दर्द होता है| पैरों, सिर, टखने, घुटनों, जांघ और जोड़ों में दर्द के साथ-साथ सूजन भी आ जाती है| शरीर में खून की कमी हो जाती है|
गठिया (जोड़ों का दर्द) के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:- लहसुन और कपूर:- लहसुन के रस में कपूर मिलाकर गठिया या वातरोग के अंगों पर मालिश करने से कुछ दिनों में रोग ठीक हो जाता है|
सोंठ, हरड़, अजमोद और सेंधा नमक:- 25 ग्राम सोंठ, 50 ग्राम हरड़, 15 ग्राम अजमोद तथा 10 ग्राम सेंधा नमक-सबको पीसकर चूर्ण बना लें| इसमें से 3 ग्राम चूर्ण सुबह और 3 ग्राम शाम को सेवन करें|
सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सफेद जीरा, लहसुन, हींग और नमक:- सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सफेद जीरा, लहसुन, हींग तथा नमक-सबको पीसकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण में से 4-4 ग्राम की मात्रा दिन में चार बार शहद के साथ चाटें|
सोंठ:- 10 ग्राम सोंठ का काढ़ा नित्य सुबह-शाम पिएं|
बिनौला का तेल:- बिनौले का तेल गठिया वाले अंगों पर मलें|
अड़ूसा:- अड़ूसा के पत्ते गरम करके प्रभावित अंगों को सेंकना चाहिए| इससे सूजन कम हो जाती है|
सरसों का तेल:- दर्द वाले स्थान पर सरसों के तेल की मालिश करने के बाद सेंकाई करें|
नारियल और पीपरमेन्ट:- गोले (नारियल) के तेल में पीपरमेन्ट डालकर तेल को अच्छी तरह मिला लें| फिर दर्द वाले अंगों पर हथेली से मालिश करें|
करेला:- करेले को पीसकर गठिया वाले स्थानों पर लेप करना चाहिए|
करेला और राई:- करेले के रस मे राई का तेल मिलाकर मालिश करने से दर्द और सूजन कम हो जाती है|
जावित्री, सोंठ और गुनगुना पानी:- जावित्री और सोंठ-दोनों के चूर्ण की 3-3 ग्राम की मात्रा गुनगुने जल से सुबह-शाम सेवन करें|
आम और सरसों का तेल:- आम की गुठली को सरसों के तेल में पकाएं| फिर छानकर इस तेल का उपयोग करें| इस तेल की मालिश से गठिया चला जाता है|
बबूल और गरम पानी:- बबूल के गोंद को महीन पीस लें| दो चुटकी चूर्ण गरम पानी के साथ दिन में चार बार सेवन करें|
अमरूद:- अमरूद की मुलायम पत्तियों को पीसकर चटनी बना लें| इसमें से एक चम्मच चटनी सुबह और एक चम्मच शाम का सेवन करें|
पत्तागोभी, चुकन्दर और फूलगोभी:- पत्तागोभी, चुकन्दर और फूलगोभी के पत्तों का रस एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गरम करके सेवन करें|
जायफल:- जायफल का तेल मलने से जोड़ो का दर्द जाता रहता है|
पीली कनेर:- पीली कनेर का तेल गठिया रोग के लिए बहुत मुफीद है|
कपूर, अफीम और सरसों का तेल:- कपूर 2 ग्राम और अफीम 1 ग्राम – दोनों को सरसों के तेल में पकाकर गठिया के अंगों पर सुबह-शाम मालिश करें|
पीपल:- पीपल के वृक्ष की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से भी गठिया का रोग जाता रहता है|
प्याज और राई:- प्याज के रस में राई का तेल मिलाकर मालिश करें|
अदरक:- अदरक का रस गरम करके जोड़ों पर लेप करें|
तुलसी और सरसों का तेल:- दो चम्मच तुलसी के पत्तों का रस सरसों के तेल में मिलाकर लगाएं|
गुड़ और मेथी:- गुड़ के साथ मेथी की सब्जी पकाकर खाने से गठिया रोग कम हो जाता है| फिर धीरे-धीरे चला जाता है|
चौलाई और सरसों का तेल:- चौलाई के पत्तों का रस निकालकर सरसों के तेल में मिलाकर गरम करें| फिर दोपहर के समय गठिया वाले अंगों पर लगाएं|
टमाटर, हल्दी, गुड़ और आलू:- गठिया के रोगी को टमाटर का रस आलू के रस में मिलाकर अंगों पर लगाना चाहिए| दो चम्मच सूखी हल्दी तवे पर भूनकर उसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करें|
पानी, आंवला और गुड़:- एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 गुड़ डालकर उबालें| जब पानी आधा रह जाए तो दिनभर में चार बार सेवन करें|
सरसों का तेल, अजवायन, लहसुन, और अफीम:- सरसों के तेल में दो चम्मच अजवायन, चार कलियां लहसुन तथा जरा सी अफीम डालकर पका लें| इस तेल को छानकर शीशी में रख लें| रोज धूप में बैठकर इस तेल की मालिश करें|
इलायची:- बड़ी इलायची के छिलकों को सिरहाने रखकर सोएं| दो माह तक लगातर यह कार्य करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है|
गठिया (जोड़ों का दर्द) में क्या खाए क्या नहीं:- गठिया के रोगियों को वायु बनाने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए| साधारण भोजन में पुराने चावल, लहसुन, करेला बैंगन तथा सहिजन का प्रयोग अधिक करें| यदि बुखार और खांसी की शिकायत हो तो चावल न खाएं| दूध, दही, मछली, उरद की दाल, बड़े, कचौड़ी, मूली, गोभी आदि का प्रयोग न करें| रात को हल्का भोजन करके जल्दी सो जाएं| तेज धूप तथा पुरवाई में न बैठें| गरमी के मौसम में सुबह तथा जाड़ों में शाम को टहलना अच्छा रहता है|