कतर की राजधानी दोहा के एक शहर में दिल्ली मूल के दो भाइयों ने अपने रेस्टोरेंट ‘जायका’ में कुछ ऐसी ही व्यवस्था कर रखी है। इस रेस्टोरेंट में जरूरतमंदों को फ्री में खाना खिलाया जाता है। दोहा से मुश्किल से 16 किलोमीटर की दूरी पर लग्जरी दुकानों, महंगे ब्रैंड और बड़े-बड़े रेस्टोरेंट वाला शहर है।
छोटे भाई ने दिया मुफ्त में खिलाने का विचार तीन हफ्ते पहले जायका के मालिक दोनों भाइयों शादाब खान (47) और निसाब ने तय किया कि जो लोग अपना पेट भरने के लिए कीमत नहीं चुका सकते हैं, वे उन्हें फ्री में खिलाएंगे।
शादाब खान 13 साल से कतर में हैं। वह फिल्ममेकर भी हैं। उन्होंने कहा, जब मैंने रेस्टोरेंट को बोर्ड को देखा तो मेरी आंखों में आंसू भर आए। फ्री में जरूरतमंदों को खाना खिलाने की बात पर मेरा गला भर आया। उन्होंने कहा कि यह विचार मेरे छोटे भाई निशाब के मन से सबसे पहले आया। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मजदूर कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते हैं और वे भारत, नेपाल और बांग्लादेश के हैं।
‘जायका’ में दिल्ली की गलियों का अहसास रेस्टोरेंट ‘जायका’ में 16 लोग एक बार व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। रेस्टोरेंट में चमकीले रंग का टेबल क्लॉथ है, जो दिल्ली की गलियों में पारंपरिक अंदाज में टेबल पर सजा रहता है। जो लोग व्यंजनों के लिए कीमत चुकाना चाहते हैं, उनके लिए एक प्लेट फिश करी छह रियाल, एक रोस्टेड अंडा तीन रियाल और पालक पनीर 10 रियाल का आता है। एक रियाल यानी 17.15 रुपये।
अच्छी तरह पेट भरने लायक भी कमाई नहीं अनुमान के मुताबिक, 23 लाख की कुल आबादी में से गल्फ में सात लाख से 10 लाख प्रवासी हैं। कितने ही मजदूर हैं जो 800 से 1000 रियाल एक महीने में कमाते हैं। वे अपने घर पैसे नहीं भेज पाते हैं। यहां तक कि लोगों को मुफ्त में भोजन मिलते तभी बात बन सकती है। संचालकों का कहना है कि कठिन परिश्रम करने वाले मजदूरों को फ्री में खाना खिलाने की जरूरत है।