प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे पदभार संभालने के बाद अपने पहले विदेश दौरे के तहत अगले सप्ताह भारत जाएंगे.इस दौरान वह संवेदनशील मछुआरों के मुद्दों और व्यापक आर्थिक समझौता सहित कई मुद्दों पर भारतीय नेतृत्व के साथ विस्तृत चर्चा करेंगे.14 से 16 सितंबर तक होने वाली अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान वह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता करेंगे और इसके अलावा वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात करेंगे.
यह यात्रा इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने भी जनवरी में राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना.विक्रमसिंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी के पिछले महीने हुए संसदीय चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया, हालांकि उनकी पार्टी को बहुमत से कम सीटें मिलीं.
पिछले महीने ही देश में चुनाव हुए हैं और यह चौथी बार है जब विक्रमसिंघे देश के प्रधानमंत्री बने हैं. सबको चौंकाते हुए महिंदा राजपक्षे को करारी शिकस्त देने वाले सिरिसेना ने जनवरी में अल्पमत की सरकार का नेतृत्व करने के लिए 66 वर्षीय विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त किया था.देश के प्रमुख का पद संभालने के बाद जनवरी से विक्रमसिंघे की यह पहली विदेश यात्रा होगी.
विक्रमसिंघे श्रीलंका के विदेशमंत्री मंगला समरवीरा के साथ स्वराज से बातचीत करेंगे.श्रीलंका के अधिकारियों ने बताया कि द्विपक्षीय वार्ता में जिन मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है, उनमें मछुआरों का मुद्दा और व्यापक आर्थिक सहयोग संधि शामिल है.विक्रमसिंघे ने भारत के साथ मजबूत संबंधों के प्रति वचनबद्धता दिखाई है, लेकिन उन्होंने मछुआरों के मुद्दे पर कड़ा रूख भी अख्तियार किया है क्योंकि मार्च में उन्होंने भारतीय मछुआरों के श्रीलंका के जलक्षेत्र में घुसते हुए देखे जाने पर उन्हें गोली मारे जाने का एक विवादास्पद सुझाव भी दिया था.
बातचीत के एजेंडा में व्यापक आर्थिक सहभागिता संधि के भी शामिल होने की संभावना है. मार्च में श्रीलंका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि दोनों देशों को इस समझौते को पूरा करने और निवेशकों को आकर्षित करने पर निडरता से आगे बढ़ना चाहिए.