दीपावली पर्व का महत्त्व

कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को दीपावली पर्व मनाया जाता है। उस दिन धन प्रदात्री ‘महालक्ष्मी’ एवं धन के अधिपति ‘कुबेर’ का पूजन किया जाता है। हमारे पौराणिक आख्यानों में इस पर्व को लेकर कई तरह की कथाएँ हैं। भारतीय परंपरा में हर पर्व और त्यौहार का संबंध प्रकृति की पूजा,  हमारे सुखद जीवन, आयु, स्वास्थ्य, धन, ज्ञान, वैभव व समृद्धि की उत्तरोत्तर प्राप्ति से है। साथ ही मानव जीवन के दो प्रभाग धर्म और मोक्ष की भी प्राप्ति हेतु विभिन्न देवताओं के पूजन का उल्लेख है। आयु के बिना धन, यश, वैभव का कोई उपयोग ही नहीं है। अतः सर्वप्रथम आयु वृद्धि एवं आरोग्य प्राप्ति की कामना की जाती है। इसके पश्चात तेज, बल और पुष्टि की कामना की जाती है।

तत्पश्चात धन, ज्ञान व वैभव प्राप्ति की कामना की जाती है।  विशेषकर आयु व आरोग्य की वृद्धि के साथ ही अन्य प्रभागों की प्राप्ति हेतु क्रमिक रूप से यह पर्व धन-त्रयोदशी (धन-तेरस), रूप चतुर्दशी (नरक-चौदस), कार्तिक अमावस्या (दीपावली- महालक्ष्मी, कुबेर पूजन), अन्नकूट (गो-पूजन), भाईदूज (यम द्वितीया) के रूप में पाँच दिन तक मनाया जाता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, नया साल और भैयादूज या भाईदूज ये पाँच उत्सव पाँच विभिन्न सांस्कृतिक विचारधाराओं प्रतिनिधित्व करते हैं।

लक्ष्मी जी का स्थायी निवास अपने यहाँ  बनाये रखने के लिये दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा के लिये दिन के सबसे शुभ मुहूर्त समय को लिया जाता है। सामान्यतः दीपावली पूजन का अर्थ लक्ष्मी पूजा से लगाया जाता है, किंतु इसके अंतर्गत गणेश, गौरी, नवग्रह षोडशमातृका, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर, तुला, मान व दीपावली की पूजा भी होती है। दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। इस वर्ष दीपावली 17 अक्टूबर को है।

पूजन के लिए आवश्यक सामग्री : लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ, लक्ष्मी सूचक सोने अथवा चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी स्नान के लिए स्वच्छ कपड़ा, लक्ष्मी सूचक सिक्के को स्नान के बाद पोंछने के लिए एक बड़ी व दो छोटी तौलिया। बहीखाते, सिक्कों की थैली, लेखनी, काली स्याही से भरी दवात, तीन थालियाँ, एक साफ कपड़ा, धूप, अगरबत्ती, मिट्टी के बड़े व छोटे दीपक, रुई, माचिस, सरसों का तेल, शुद्ध घी, दूध, दही, शहद, शुद्ध जल।

पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल का मिश्रण)
मधुपर्क (दूध, दही, शहद व शुद्ध जल का मिश्रण)

हल्दी व चूने का पावडर, रोली, चन्दन का चूरा, कलावा, आधा किलो साबुत चावल, कलश, दो मीटर सफेद वस्त्र, दो मीटर लाल वस्त्र, हाथ पोंछने के लिए कपड़ा, कपूर, नारियल, गोला,

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