आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है।
आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
मां शारदा की आरती
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां
तू स्वर की देवी है संगीत तुझसे,
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे,
हम हैं अकेले, हम हैं अधूरे,
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां…
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी,
हम भी तो समझें, हम भी तो जानें,
विद्या का हमको अधिकार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां….
तु श्वेतवर्णी, कमल पे बिराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे,
मन से हमारे मिटा दे अंधेरे,
हमको उजालों का संसार दे मां
हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां….