महिला दिवस, सिर्फ एक दिन!

इतिहास गवाह है कि भारतीय संस्कृति की पृष्टभूमि में महिलाओं की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। महिलाओं ने धार्मिक अनुष्ठान तथा घर-परिवार की पारम्परिक भूमिकाओं के अतिरिक्त रणभूमि में भी अपनी वीरता और सूझबूझ का परिचय दिया है। आज आधुनिक युग तथा प्रगति के इस दौर में भारतीय महिलाओं ने सेनाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर उसी वीरता, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में लडक़ों से अव्वल रहकर बौद्धिक क्षमता, अपने दम पर खेल व व्यवसायों में सिक्का जमाकर स्वाभिमान व कौशल का परिचय दिया है किन्तु सामाजिक व्यवस्था में अभी भी महिलाओं को जितना उचित सम्मान व अधिकार मिलना चाहिए था उतना नहीं मिला है। घटते लिंगानुपात के मुददे पर बात करें तो लड़कियों की कम हो रही संख्या में प्रमुख कारण गर्भ में कन्याभ्रूण की जांच करवाकर उसकी हत्या शामिल है लेकिन इसके लिए अकेली स्त्री जिम्मेदार नहीं है, विवशता में उसे इस अपराध में शामिल होना पड़ता है। जरूरत है उसे जीवन से जुडे हर महत्वपूर्ण निर्णय को स्वतंत्र रूप से लेने की, महिलाओं में हीन भावना का शायद सबसे बडा कारण यही है। दूसरी ओर नारी को कहीं देवी, शक्ति, लक्ष्मी, जीवन साथी व संयम की मूर्ति जैसे नाम दिए गए हैं लेकिन 21वीं सदी में प्रवेश के बावजूद भी वे इन नामों को लेकर अपना हक हासिल  नहीं कर पाई हैं जो समरूपता जैसे कहे जाने वाले समाज में एक चिंता का विषय है। इसी पर चिंतन करने के लिए हर साल विश्वभर में महिलाओं को उनकी पहचान तथा अधिकारों के प्रति सचेत करने बारे हर वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है ताकि महिलाओं के प्रति समाज की सोच को बदला जा सके।

प्रदेश की खुशहाली और तरक्की में महिलाओं ने अहम भूमिका अदा की है। वे हमारे समाज का सशक्त आधार है। महिलाओं ने अपने प्रयासों, कार्यो और लक्ष्यों के बल पर नये आयाम हासिल किए हैं। राजनीति, उद्योग, समाज सेवा, कला, खेल, साहित्य, शिक्षा तथा संगीत इत्यादि कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं रहा जहां महिलाओं ने अपनी बुद्धि, क्षमता व कुशलता का परिचय न दिया हो। प्रदेश की कल्पना चावला, ममता खरब, कृष्णा पूनिया जैसी अनेक प्रतिभावान महिलाओं ने आज अपने-अपने क्षेत्र में मिसाल कायम की है। आने वाली पीढिय़ों के लिए सही मार्गदर्शन दिया है।

हरियाणा सरकार महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक उत्थान के प्रति पूर्ण रूप से सजग है। इस उददेश्य की पूर्ति के लिये सरकार द्वारा  प्रदेश में महिलाओं एवं बालिकाओं के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिये अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। इनमें घटते लिंगानुपात के सुधार के लिये लाडली योजना, पोषाहार की दरों में बढोतरी, सर्वाेत्तम माता पुरस्कार योजना, साहसी एवं शोर्य हासिल करने वाली महिलाओं के लिये तीन राज्य स्तरीय पुरस्कार तथा राजीव गांधी सबला योजना शामिल हैं। इतना ही नहीं हरियाणा सरकार ने राज्य की महिलाओं के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करवाने पर स्टाम्प शुल्क में 2 प्रतिशत की छूट, बिजली के बिल में प्रति यूनिट 10 पैसे की छूट दी जा रही है। इसके अलावा राज्य की विजेता एवं प्रतिभागी महिला खिलाडिय़ों को नकद ईनाम एवं नौकरियां प्रदान की हैं।  प्रदेश के सशक्त समाज का मुख्य आधार है यहां की स्वावलम्बी महिलाएं, जिन्होंने अपने साहस व आत्मबल से हरियाणा को एक नई पहचान दी है। आने वाली पीढियों के लिये वे एक सशक्त प्रेरणा भी है।

बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार ने महिला व बच्चों के पूरक पोषाहार की दरों में वृद्धि की है जोकि माताओं, किशोर बालिकाओं के लिए 5 रूपए व बच्चों के लिए 3 रूपए प्रतिदिन है। यह दरें देश में सर्वाधिक हैं।  समेकित बाल विकास सेवाएं के लाभ पात्रों के खाने के लिए तैयार पोषाहार की वर्तमान केन्द्रीय खरीद प्रणाली को बन्द करके महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों एवं माताओं के समूहों को पोषाहार तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। यह समूह ग्राम स्तरीय उप समिति की देख रेख में कार्य करते हैं तथा आई.सी.डी.एस. के लाभ पात्रों को उनके अधिमान अनुसार स्थानीय तौर पर पोषाहार उपलब्ध करवाया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 75 हजार महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए गए हैं।  समेकित बाल विकास सेवाएं का विकेन्द्रीयकरण करके इसे पंचायती राज का हिस्सा बनाते हुए समुदाय द्वारा संचालित कार्यक्रम बनाया गया है। बच्चों एवं महिलाओं के सभी कार्यक्रमों को सुविधापूर्वक चलाने के लिए अब तक करीब 6157 ग्राम समितियां गठित की गई हैं।  महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक उत्थान तथा उन्हें आय उपार्जन गतिविधियों में लगाने के लिए राज्य भर में महिला मंडलों के 1675 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है।

राज्य सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा हैल्परों का मानदेय बढ़ाया गया तथा इनकी सेवानिवृति आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष की गई है। शिक्षा से वंचित रही महिलाओं एवं किशोरियों को शिक्षित करने के उद्देशय से ग्रामीण क्षेत्र में साक्षर महिला समूह बनाए गए। यह समूह प्रत्येक गांव में शिक्षित महिलाओं और किशोरियों का एक रजिस्टर्ड संगठन है जो ग्राम स्तर पर एक गैर सरकारी संस्था के रूप में राज्य के सभी गांवों में विकास सम्बन्धी कार्यक्रमों में अपना योगदान देता है। राज्य में अब तक लगभग 6 हजार महिला साक्षर समूह पंजीकृत हो चुके हैं। राष्ट्रीय महिला कोष द्वारा साक्षर महिला समूह को लघु ऋण देने के उद्देश्य से एक योग्य स्वैच्छिक संगठन के रूप में मान्यता दी है।

स्वस्थ समाज एवं एक नई सोच को विकसित करने के लिये यह आवश्यक है कि महिला एवं पुरूष दोनों समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दें। ताकि देश व समाज में फैली हुई कुरीतियों एवं पुरानी संकीर्ण परम्पराओं को जड़ मूल से उखाड़ा जा सके।

करनाल जिला में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की उपरोक्त स्कीमों को बेहतर ढंग से क्रियान्वित करवाने के लिए जिला प्रशासन कृत संकल्प है। इस जिला की महिला उपायुक्त श्रीमती नीलम प्रदीप कासनी तथा विधायक श्रीमती सुमिता सिंह हर रोज कहीं न कहीं आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में महिलाओं को आडम्बरों से दूर रहने, शिक्षा की ऊंचाईयों तक पहुंचने, कन्याभ्रूण हत्या जैसी बुराई में सहभागी न बनने, पढाई के साथ-साथ खेलों में भी अपनी प्रतिभा दिखाने तथा पंचायती राज संस्थाओं से जुडी महिलाओं को ग्राम सभा की बैठक में भाग लेने तथा महिलाओं के लिए ग्राम स्तर पर बनाई जाने वाली योजनाएं बनाने के लिए प्रेरित करती रहती हैं।

एम एस निर्मल

इंडिया हल्ला बोल

Check Also

World literacy day । विश्व साक्षरता दिवस

इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जिस देश और सभ्यता ने ज्ञान को …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *