सबके अपने -अपने दांव

आगामी विधानसभा के चुनाव 2012 का शंखनाद अभी हुआ ही है की राजनीतिक पार्टियों में इसकी आहट सुनाई पड़ने लगी है। सराजनीतिक पार्टियां जनता को रिझाने के लिए शतरंज की गोट बिछाने लगी हैं। अगर देखा जाये तो इलाहाबाद राजनीति का गढ़ माना जाता है। आजादी से लेकर अब तक सभी पार्टियों के लिए इलाहाबाद खासा महत्व रखता है। इस जिले में अतीक अहमद और मुख़्तार अंसारी की तूती बोलती थी लेकिन अब हालत कुछ बदले -बदले नजर आते हैं। इस विधान सभा चुनाव में 12 सीटों के लिए बड़े- बड़े महारथी चुनावी मैदान में हैं जहाँ की जनसँख्या 4936105 है।

अगर देखा जाये तो इलाहाबाद के संसदीय क्षेत्र में इस बार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, सांसद ,कैबिनेट मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले विधानसभा चुनाव में  बसपा के नन्द गोपाल नंदी ने बाजी मारी थी। वहीं सपा उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन इस बार चुनावी समीकरण बदले हुए हैं। लोकसभा चुनाव की बात की जाये तो पिछला लोकसभा चुनाव बसपा ने जीता था। मगर अब हालात दूसरे हैं। अगर गौर करे तो इस बार सपा दूसरों से जयादा अपनों से परेशां नजर आ रही है। भाजपा यहाँ फील गुड करने में जुटी है। इन तीनों ही दलों को अपने उम्मीदवारों से काफी भरोसा है।

एक नजर उम्मीदवारों पर –

विजमा यादव – सपा की डूबती नाव को किनारे लालाने के लिए सपा ने फूलपुर से विजमा यादव को खड़ा किया है। पहले ये चुनाव झूसी से लडती थी, लेकिन इस बार परसीमन में झूंसी विधानसभा को समाप्त करके फूलपुर बना दिया गया है। विजमा यादव स्वर्गीय जवाहर लाल कि पत्नी है

हर्षवर्धन वाजपई -पूर्व राज्यपाल व केंद्रीय मंत्री डॉ राजेंद्र कुमारी वाजपई के पौत्र हर्षवर्धन वाजपई को  बसपा से  टिकट मिला है यही नहीं इनके पिता अशोक वाजपेयी बसपा के प्रदेस सचिव हैं। ऐसे में  पिता व पुत्र दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

नन्द गोपाल नंदी – नंदी प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और उनका यह दूसरा चुनाव है बसपा ने इन्हें शहर साऊथ से चुनावी मैदान में  उतरा है। अगर गौर करे तो नंदी ने 2007  के चुनाव में केसरी नाथ समेत कई दिग्गजों को मात दी थी, लेकिन इस बार इनके लिए चुनाव आसान नहीं है।

केसरी नाथ त्रिपाठी -भाजपा ने इस बार भी शहर साऊथ से केसरी नाथ त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। इस बार भी  इनके विरोधी बसपा उम्मीदवार नन्द गोपाल नंदी हैं। नंदी ने इनको 2007 के चुनाव में भरी मतों से पराजित किया था, लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा को इनसे काफी उम्मीदे हैं।

श्याम  सूरत उपाध्याय –जब एक तरफ कांग्रेस मंहगाई, भ्रष्टाचार से घिरी है ऐसे में  सूरत उपाध्याय के लिए राहें काफी मुश्किल है। कांग्रेस ने इन्हें प्रतापपुर से चुनाव में उतारा है। अगर देखा जाये तो श्याम सूरत चार बार विधान सभा में जा चुके हैं।

ज्योति यादव – क्रिकेट की दुनिया में काफी नाम कमा चुके  ज्योति यादव को इस बार सपा ने शहर पश्चिमी से मैदान में उतारा है। ज्योति यादव पूर्व विधायक गोपालदास यादव के पुत्र हैं। अब ज्योति यादव चुनावी मैदान में एक नई पारी खेलने को तैयार हैं।

यही नहीं सांसद रेवती रमण के पुत्र उज्जवल सिंह को सपा ने करछना से टिकट दिया है।

सभी पार्टियों ने अपने -अपने उम्मीदवार को तो घोषित कर दिए हैं लेकिन ये तो भविष्य के गर्भ में है कि  कौन सी पार्टी चुनाव में बाजी मारेगी, लेकिन सबके अपने -अपने दांव  हैं।

अम्बरीश द्विवेदी

इंडिया हल्ला बोल

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