विधानसभा में उत्तर प्रदेश के 403 सीटों के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है
सभी राजनीतिक पार्टियां जाति,धर्म के नाम पर जनता को बरगलाने में लगी हैं। ऐसे में युवा इस बार के चुनाव में किसी भी पार्टी के लिए तुरुप का पत्ता साबित होंगे क्योकि इस बार के चुनाव में काफी संख्या में युवा मतदाता होंगे जो पहली बार अपने मत का प्रयोग करेंगे। इस बार का विधानसभा चुनाव में लड़ाई का मैदान काफी बदला-बदला सा नजर आ रहा है जहाँ नए परसीमन के बाद पहली बार चुनाव होने जा रहा है जिससे चुनावी समीकरण बदला हुआ है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुल 403 में से 126 विधानसभा सीटें अपना आस्तित्त्व खो चुकी हैं।
ये तो रही परसीमन कि बात लेकिन विधानसभा चुनाव काफी हद तक नए वोटरों अर्थात युवाओं पर निर्भर करेगा और कहा भी जाता है कि युवा किसी देश का भविष्य होते हैं। ऐसे में चुनावी अभियान में जुटे राजनीतिक दलों के लिए इस बार नए युवा मतदाता अहम् साबित हो सकते हैं। अगर गौर किया जाये तो पिछले एक साल में एक करोड़ से ज्यादा मतदाता जुड़े हैं जिन्होंने अभी हाल में ही 18 वर्ष की उम्र पार की है। जहाँ कांग्रेस मुस्लिमो को रिझाने के लिए आरक्षण की चाल चली है। वहीं पार्टी के खेवनहार राहुल गाँधी कई वर्षो से लंबित पड़े इलाहाबाद के छात्र संघ चुनाव की बहाली करा दी है। जिसका पूरा श्रेय राहुल गाँधी को जाता है ऐसे में युवा मतदाता राहुल को अपना पूरा समर्थन देने लगे हैं। उत्तर प्रदेश में करीब 4 .37 करोड़ ऐसे वोटर है। जिनकी उम्र 39 वर्ष से कम है। पिछले 2009 के लोकसभा चुनाव में 11.06 करोड़ युवा मतदाता थे। अब तक इस विधानसभा चुनाव में 1.4 करोड़ युवा मतदाता जुड़ चुके हैं। जो किसी भी पार्टी की नैय्या को पार लगा सकते हैं।
लोगों का मानना है कि सामान्यतया खामोश रहने वाला युवा वर्ग फरवरी चुनाव में एक नया इतिहास रच सकता है। चुनाव आयोग ने भी 25 जनवरी को वोटर डे मना रहा है, इसी बीच करीब 70 लाख युवाओं को वोटर कार्ड प्रदान किया जायेगा यही नहीं इनको यह भी शपथ दिलाई जाएगी कि वो अपना मत देश के हित में करें। जहाँ राहुल गाँधी युवाओं के रोले माडल बने हैं वहीं दूसरी और सपा के अखिलेश यादव भी युवाओं पर अपनी छाप छोड़ने में पीछे नहीं है। खैर ये तो भविष्य के गर्भ में है की कौन सी पार्टी विधानसभा चुनाव में बाजी मारेगी लेकिन युवा मतदाता इस बार निर्णायक साबित हो सकते हैं।
अम्बरीश द्विवेदी
इंडिया हल्ला बोल