हिसार का उपचुनाव क्या देश की नयी राजनीतिक दिशा तय करेगा

हिसार लोकसभा उपचुनाव के नतीजे आने के साथ ही सबसे ज्यादा ख़ुशी केवल कुलदीप बिश्नोई और उनके समर्थको में ही नहीं देखी जा सकती, बल्कि टीम अन्ना के पास अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करने की एक नहीं दो – दो वजह एक साथ है। एक और तो जहां टीम अन्ना पर इस बात के लिए प्रश्नवाचक चिन्ह लग रहे थे की उन्होंने पूरी रणनीति के साथ हिसार लोकसभा उपचुनाव को ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहीम के लिए चुना। इसके पीछे की वजह जानकार यही बता रहे थे की कांग्रेस इस चुनाव में कही भी दौड़ में नहीं है, जबकि टीम अन्ना ने अन्ना हजारे की कर्मस्थली रालेगन सिद्धि के पास में ही खडकवासला विधान सभा उपचुनाव में क्यों नहीं कांग्रेस – एन सी पी के प्रत्याशी के खिलाफ अपनी मुहीम को नहीं चुना। जानकार इसके पीछे की वजह इस बात को ही बता रहे थे की क्यों की खडकवासला विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी मज़बूत स्थिति में था, लेकिन शायद कांग्रेस पार्टी के ही नक्षत्र ख़राब चल रहे है इस सीट पर भी उनके प्रत्याशी को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी से मुहं की खानी पड़ी।

हिसार लोकसभा उपचुनाव के नतीजों ने कांग्रेस के सिपहसालारों के मुहं पर ताले तो जड़ दिए है लेकिन कहीं ना कहीं राजनीतिज्ञों के बीच में एक नयी बहस को जन्म दे दिया है की क्या राजनेता जनहित के मुद्दों से दूर रहकर आम जनता से वोट की अपील कर सकते है, और वर्तमान परिदृश्य सभी भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया है। अब चाहे कांग्रेस या उसके घटक इस बात को लेकर बंद कमरों में ज़रूर चिंतन करेंगे की क्या टीम अन्ना और आम जनता के भ्रष्टाचार के मुद्दे को इतनी आसानी से एक तरफ रख कर सत्ता पर काबिज़ हो सकते है।

गौरतलब है की हरियाणा में भी कांग्रेस पिछले आठ साल से सत्ता में बनी हुई है और अब से ठीक दो साल पहले हुए विधान सभा चुनावो के बाद कांग्रेस ने किस प्रकार जोड़ तोड़ करके इस सरकार को जन्म दिया वह भी किसी से छिपा नहीं है। हरियाणा में वर्तमान सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से ही इस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे है। कभी इसके मन्त्री रिश्वत लेने के बाद हत्या तक के आरोपों से घिरे है और कभी मन्त्री के निजी वाहन चालक पर बलात्कार के आरोप लगते है। अब कहीं ना कहीं इस हार के बाद टीम अन्ना के साथ साथ कांग्रेस के राजनीतिक विरोधियों को उनके खिलाफ मुंह खोलने का मौका मिल गया है।

अन्ना के भ्रष्टाचार आन्दोलन के बाद देश में का लोकतंत्र यह सबसे बड़ा जनमत संग्रह हुआ है और जिसका नतीजा आम जनता ने दे दिया है और कहीं ना कहीं राज नेताओं के लिए अब चिंतन का विषय है की आम जनता भ्रष्टाचार से किस हद तक त्रस्त है की कांग्रेस प्रत्याशी को हिसार लोकसभा में क्षेत्र आने वाले कुल नौ विधान सभा में से कहीं से भी बढ़त नहीं मिल पाई। हांलाकि कहीं ना कहीं टीम अन्ना आजकल अपने ही घर में अपने ही विवादों में घिरी हुई है। कहीं स्वामी अग्निवेश की वजह से तो कही प्रशांत भूषण की वजह से सिविल सोसाइटी के सदस्यों की किरकिरी हुई है। जिसकी वजह से अन्ना हजारे को जवाब देते नहीं बन पड़ रहा है। लेकिन राजनेताओं के साथ साथ उनकी जवाबदेही और जिम्मेदारियां दोनों बढ़ गयी है।

दिनेश कुमार गौतम

वरीष्ठ पत्रकार

इंडिया हल्ला बोल

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