भ्रष्टाचार और कांग्रेस…

जिस राजनैतिक दल ने कल तक दिल्ली के गद्दी पर राज किया वह आज इस हाल में है कि उसका आगामी विधान सभा चुनाव में ‘द एंड’ नजर आ रहा है।  ऐसे में एक प्रश्न यह उठता है कि आखिर कांग्रेस की यह दुर्दशा क्यों हुई? जिसका कारण भ्रष्टाचार के मामले हो सकते है। दरअसल भ्रष्टाचार के मामले ने कांग्रेस को इस तरह जकड रखा है कि उससे छुटकारा पाना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। मामला – 2जी से उठा। जिसमें स्पेक्ट्रम को बिना नीलामी के ही बेचने के कारण ए. राजा के ऊपर भारतीय कोष को 1.76 लाख करोड़ के ऊपर नुकसान पहुचने का आरोप था। इस आरोप में ए राजा के अलावा कांग्रेस के कई नेता नप गए। नतीजा कांग्रेस को न चाहते हुए विपक्ष पार्टी और जनता के दबाव के कारण ए राजा. और कनिमोझी को जेल भेजना पड़ा।

जिनके खिलाफ मामले कि कार्यवाही चल रही थी। ऐसे में अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन कांग्रेस का जीना दूभर कर दिया। कांग्रेस अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल को अधूरे मन से मंजूरी दे कर जनता के बीच अपना विश्वास बनाने कि कोशिश कर ही रहा था कि पेट्रोल के दाम में हुई 3 रुपये कि बढ़ोतरी ने देश की जनता का विश्वास कांग्रेस पर से हटा दिया।

पार्टी अब  तक – 2जी घोटाले के लिए डीएमके और ए राजा के सर सारा दोष मढ़ रही थी लेकिन गृह मंत्री पी चिदंबरम की भूमिका के बारे सभी जो खबर आई है उसने कांग्रेस पार्टी के लिए एक मुश्किल पैदा कर दी है। चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी के बीच उठे विवाद ने यह संकेत दे दिया है की कांग्रेस पार्टी के बाहर ही नहीं अन्दर भी नेताओं के बीच मत भेद बना हुआ है। इसकाउजागर उस समय हुआ जब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एक आर.टी. आई आवेदन के जवाब में पी एम ओ को भेजे अपने फैक्टशीट को सार्वजनिक कर दिया। इसमें बताया गया था की तब के वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने पीएम को बिना नीलामी के ही स्पेक्ट्रम को बेचने की सलाह दी थी। ऐसे में चिदंबरम चाहते तो इस घोटाले को रोक सकते थे। इस खुलासे से पीएम भी शक के दायरे में आते हुए नजर आते है। ऐसे में विपक्ष पार्टी के नेताओ ने चिदम्बरम से इस्तीफे की मांग की है। फ़िलहाल पीएम ने मामले को सँभालते हुए कहा ही मुझे चिदम्बर पर विश्वास है। मामले को ज्यादा गंभीर देख प्रणब खुद प्रधान मंत्री से मिलने विदेश तक चले गए। फिलहाल मामला गृह मंत्री के इस्तीफे को लेकर काफी उलझी हुई नजर आ रही है।

ऐसे में क्या आगामी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस जनता को अपने लिए वोट डालने के लिए राजी कर पायेगी यह अहम सवाल भी कांग्रेस के सामने खड़ा है। इसमें कोई दो राय नहीं की उत्तर प्रदेश में पार्टी कार्यकर्त्ता महासचिव राहुल गाँधी की सक्रियता ने पार्टी कार्यकर्त्ता में एक नया उत्साह पैदा किया था लेकिन जिस तरह से सरकार केंद्र पर एक के बाद एक आरोप कांग्रेस के नोतावो पर लग रहे है उससे तो जो दिन – रात एक कर के कांग्रेस के लिए जनसमर्थन उत्तर प्रदेश में किया एकत्र था वह धुधला होता नजर आ रहा है। खैर ये तो बात विधान सभा चुनाव की है। मौजूदा दौर में जो हालत कांग्रेस की हो रही है उससे पहले निकलना कांग्रेस की प्राथमिकता होगी।

मानेन्द्र कुमार भारद्वाज
इंडिया हॉल बोल

Check Also

जानिये भारतीय शिक्षा पद्ति कैसे देश की संस्कृति और संस्कारों का हनन कर रही है।

भागवत कथा वाचक श्री देवकीननदन ठाकुर जी महाराज ने देश में एक नया मुद्दा उठा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *