अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर

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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर अत्याचार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के प्रावधान वाले संशोधन विधेयक 2015 पर संसद ने अपनी मुहर लगा दी.सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में इस विधयेक पर चर्चा करने का करने और पारित करने का आग्रह किया.राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह सामाजिक महत्व का विधेयक है और इसे बिना चर्चा के पारित किया जाना चाहिए. समस्त सदन ने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की. इसके बाद सदन इस विधयेक को बिना चर्चा के सर्वानुमति से ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया.

लोकसभा ने इसे पिछले सत्र में पारित कर दिया गया था. सरकार का मानना है कि इस विधेयक के पारित होने से एससी और एसटी वर्ग के लोगों पर होने वाले अत्याचार पर अंकुश लगेगा.विधेयक में हाथ से मैला उठाने के लिए मजबूर करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा एससी एसटी वर्ग के लोगों के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाएगा. विधेयक में एससी एसटी वर्ग के पीडित  लोगों के लिए पुनर्वास का भी प्रावधान किया गया है.

इस विधयेक के जरिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)  अधिनियम 1989 में संशोधन किया गया है.केंद्र सरकार 22 दिसंबर को जुवेनाइल जस्टिस बिल राज्यसभा में पेश करेगी. नाबालिग की रिहाई के बाद सांसदों पर जुवेनाइल जस्टिस बिल को लेकर दबाव बढ़ गया है. सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा में जुवेनाइल बिल पर चर्चा के लिए सभी पार्टियां राजी हो गई है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हम खुद जूवेनाइल जस्टिस विधेयक पारित करने के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले कांग्रेस सदन को चलने दे.

जघन्य अपराधों में शामिल 16 वर्ष से अधिक आयु के किशोरों के साथ वयस्क जैसे बर्ताव करने का प्रावधान करने वाले बाल न्याय (संशोधन ) विधेयक 2015 को पारित करने के लिए मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा की जाएगी.भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उप सभापति  पीजे कुरियन को संशोधित कार्यसूची की जानकारी देते हुए अनुरोध किया कि सदन में कार्यसूची में पहले से दर्ज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक 2015 के स्थान पर बाल न्याय (संशोधन) विधेयक 2015 पर चर्चा कराई जाए.

सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि सरकार सदन नहीं चलाना चाहती है और इसलिए ऐसा कुछ कर देती है जिससे विपक्ष को विरोध करना पडता है. वास्तव में सरकार जनता और मीडिया में यह प्रचारित करना चाहती है कि विपक्ष जन महत्व के कार्य नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा कि विपक्ष बाल न्याय विधेयक पर चर्चा करने और उसे पारित करने के तैयार हैं लेकिन यह समय एससी एसटी विधेयक का है. बाल न्याय विधेयक को मंगलवार के लिए रखना चाहिए. आजाद का समर्थन मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने भी किया.

कुरियन ने कहा कि सदन में इस पर सहमति है कि बाल न्याय विधेयक सदन की कार्यसूची में कल शामिल जाए. सरकार को इसे कल की कार्यसूची में सबसे पहले शामिल करना चाहिए. नकवी ने इस पर सहमति व्यक्त की.संसदीय कार्य मंत्री एम वैंकेया नायडु ने राज्यसभा के सदस्यों से अधिक से अधिक विधेयक पारित करने का अनुरोध करते हुये कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में अब तक मात्र चार विधेयक ही पारित हो पाये हैँ.नायडू ने सदन में विधेयको पर चर्चा को लेकर सदस्यों के बीच वाद विवाद के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि सदन में अभी भी 13 विधेयक लंबित है जिसे पारित किये जाने की आवश्यकता है. अब मात्र चार विधेयक पारित हुये हैं जिससे लोगों में अच्छा संकेत नहीं जा रहा है.

इससे पहले आज सदन ने तीन विधेयको को बगैर चर्चा के पारित कर दिया. इसके बाद किशोर न्याय विधेयक को संशोधित कार्यसूची में शामिल किये जाने पर उप सभापति पी जे कुरियन ने सदस्यों से इस पर चर्चा करने के लिए कहा लेकिन सदन में विपक्ष के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि हम तीन विधेयक पारित कर चुके हैं और अब किसी अन्य विधेयक पर चर्चा नहीं कराया जाना चाहिए.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में दिवाला और शोधन अक्षमता विधेयक-2015 पेश किया जिसमें कारपोरेटरों, भागीदार कंपनियों के पुनर्गठन तथा दिवाला से संबंधित मामलों का समयबद्ध तरीके से समाधान की व्यवस्था है.

कांग्रेस सदस्यों के भारी हंगामे के बीच वित्तमंत्री द्वारा पेश इस विधेयक का राष्ट्रीय समता पार्टी(आरएसपी) के सदस्य एन के प्रेमचंद्रन ने कड़ा विरोध किया और आरोप लगाया कि विधेयक अपूर्ण तथा भ्रामक है और सरकार कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए इसे जल्दबाजी में पेश कर रही है.उन्होंने कहा कि विधेयक पेश होने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है. विधेयक में 155 पेज हैं और इसमें कई खंड हैं और सौ से अधिक संशोधन है और उन्हें इसकी प्रति शनिवार को मिली है जिसे पढने का पर्याप्त समय सदस्यों को नहीं दिया गया है.

आरएसपी नेता ने यह भी आरोप लगाया कि विधेयक पेश करने से पहले इसे राजपा में प्रकाशित किया जाना चाहिए था और इसे पेश करने की अनुमति लेकर इसके प्रत्येक खंड पर चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन सरकार ने इन सब ¨वदुओं की अनदेखी की है. इस विधेयक में सरकार ने जो तत्परता दिखायी है उससे संसद के अधिकारों का हनन हुआ है. यह विधेयक अधूरा है इसलिए फिलहाल इस विधेयक को पेश करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विधेयक पेश किए जाने पर की गयी आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक सभी नियमों का पालन करते हुए पेश किया गया है और इसमें किसी तरह से नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि विधेयक पेश करने के लिए इसकी प्रतियां दो दिन पहले देने की व्यवस्था है और इसका पालन हुआ है इसलिए पर्याप्त समय नहीं दिए जाने का सदस्य का आरोप गलत है.

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