PM मोदी ने लांच की तीन परियोजनाए

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मोदी ने शहरों को विकास के इंजन के तौर पर विकसित करने के मकसद से तीन बड़ी शहरी योजनाओं की शुरूआत करने के साथ आज कहा कि निजी प्रॉपर्टी डेवलपर्स को यह फैसला नहीं करना चाहिए कि शहर का विकास कैसे होगा, बल्कि यह फैसला निवासियों और शहर के नेतृत्व को करना चाहिए। मोदी ने पुनरोद्धार एवं शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन , स्मार्ट सिटी मिशन और सभी के लिए आवास मिशन की शुरूआत करते हुए कहा कि शहरीकरण को एक अवसर और शहरी केंद्रों को विकास के इंजन के तौर पर देखना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘इन योजनाओं के तहत हम आगे बढ़ सकते हैं और इसे मिलकर (केंद्र एवं राज्य) कर सकते है। भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। हर साल हिंदुस्तान एक छोटे देश को जन्म देता है।’ एएमआरयूटी योजना के तहत 500 शहर विकसित किए जाने हैं। 100 स्मार्ट शहर पांच साल के भीतर विकसित किए किए जाएंगे और सभी के लिए आवास योजना के तहत अगले सात साल में दो करोड़ मकानों का शहरी क्षेत्रों में निर्माण कराना है।

स्मार्ट सिटी का चयन शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा के जरिए होगा जबकि एएमआरयूटी के तहत 500 शहरों की पहचान की जा रही है। प्रधानमंत्री ने स्मार्ट सिटी का हवाला देते हुए कहा, ‘भारत में पहली बार यह चुनौती रखी जा रही है जिसमें भारत के नागरिक अपने शहरों के विकास का दृष्टिकोण तय करने में योगदान दे सकते हैं । ’ उन्होंने कहा कि इस प्रतिस्पर्धी व्यवस्था से जन केंद्रित शहरी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। मोदी ने कहा, ‘ये शहरी योजनाएं सिर्फ सरकार की ओर से तैयार नहीं की गई हैं बल्कि इसमें शायद अब तक की सबसे अधिक परामर्श लेने की प्रक्रिया अंजाम दी गई है और वैश्विक स्तर पर उठाए गए सर्वश्रेष्ठ कदमों की भी पड़ताल शामिल है।’ इसके अलावा पीएम मोदी ने आवास मिशन का ‘लोगो’ भी जारी किया।

मोदी ने सभी शहरी योजनाओं को जनता की भागीदारी के आधार आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा, ‘शहरी योजना के बारे में समग्र दृष्टिकोणा का अभाव है और विस्तार शहर के प्रशासकों द्वारा नहीं, बल्कि प्रापर्टी डेवलपर्स द्वारा किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘एएमआरयूटी के जरिए सरकार का लक्ष्य शहरों को अपने आगे के विस्तार का अवसर प्रदान करना है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां कार्यक्रम के लिए एकत्र लोगों पर भारत की उस 40 फीसदी आबादी के लिए बेहतर जीवन प्रदान करने की सामूहिक जिम्मेदारी है, जो या तो शहरों में रहते हैं या अपनी आजीविका के लिए शहरों पर निर्भर हैं। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण इलाकों से आए प्रवासियों और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की अकांक्षओं को लेकर भी बदलते वैश्विक माहौल के साथ संतुलना बनाना चाहिए और कहा कि उनके लिए अच्छा जीवन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।

उन्होंने स्मार्ट सिटी के लिए सहज दृष्टिकोण पेश करते हुए कहा कि यह लोगों की अकांक्षाओं से एक या दो कदम आगे की बात है। मोदी ने कहा, ‘कार्यस्थल तक पहुंचने की सुविधा होनी चाहिए क्योंकि आज के समय में अधिकांश समय दफ्तर तक जाने में लग जाता है और काम के लिए बहुत कम समय मिल पाता है।’ उन्होंने कहा कि परिवहन के अलावा प्रौद्योगिकी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और उर्जा की बचत लिए प्रावधान होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने शहरी इलाकों में कामकाज की हालत की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘अगर यह 20-30 साल पहले कर लिया गया होता तो इसके आज अच्छे नतीजे होते, लेकिन देर आए दुरूस्त आए। स्पष्ट दृष्टिकोण वाली और जनता केंद्रित ये योजनाएं समय की जरूरत हैं।’ देश के विभिन्न भागों के अच्छे चलन को अपनाने की हिमायत करते हुए मोदी ने इस संबंध में हैदराबाद की कर संग्रह व्यवस्था, कर्नाटक में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था और खुले में शौच को खत्म करने की दिशा में छत्तीसगढ़ के काम का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़, जो माओवाद की समस्या से जूझ रहा है, खुले में शौच की बुराई को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। बढ़ती आबादी की चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शहरी विकास के लिए संसाधन पाने के लिए सभी संभावित रास्ते तलाश किए जाने चाहिएं।

ये तीनों योजनाएं स्मार्ट सिटी योजना, AMRUT और  हाउसिंग फॉर ऑल नाम की योजनाएं है। तीन परियोजनाओं के परिचालन दिशानिर्देश, नियमों, लागू करने के ढांचे को केंद्र द्वारा राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्थानीय शहरी निकायों के साथ पिछले एक वर्ष के दौरान की गई चर्चा के आधार पर तैयार की गयी हैं। इन तीन वृहद शहरी परियोजनाओं को तैयार करने में प्रधानमंत्री खुद भी जुड़े रहे हैं और इसके लिए करीब 4 लाख करोड़ रूपये का केंद्रीय अनुदान तय किया गया है।

 

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