झारखण्ड में आज आ सकता है हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहराने संबंधी आदेश

झारखण्ड में राज्यपाल रमेश बैस मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधायक पद के अयोग्य ठहराने का आदेश निर्वाचन आयोग को भेज सकते हैं। सोरेन के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों के बीच, राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य मुख्यमंत्री आवास पर सुबह तीसरे दौर की बैठक के लिए इकट्ठा होंगे।

सोरेन की विधानसभा सदस्यता खनन पट्टे के मामले के कारण अधर में लटकी हुई है।राजभवन के एक सूत्र ने बताया कि राज्यपाल शनिवार को अयोग्यता आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे और इसे निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा।

राज्यपाल के आधिकारिक आवास के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि निर्वाचन आयोग ने सोरेन को एक खनन पट्टा स्वयं को देकर चुनावी मापदंडों का उल्लंघन करने के आरोप में विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी, लेकिन इस पर अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन के विधायक आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए शनिवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे फिर से मिलेंगे। इन विधायकों ने शुक्रवार सुबह और शाम को मैराथन बैठकें की थीं।

सत्तारूढ़ गठबंधन के सूत्रों ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बनाई जा रही है कि सरकार को कोई खतरा नहीं हो।झामुमो के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में एक महत्वपूर्ण सहयोगी कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, बिहार या छत्तीसगढ़ जैसे मित्र राज्य में एक रिसॉर्ट में विधायकों को रखा जाएगा ताकि भारतीय जनता पार्टी उन्हें अपने जाल में नहीं फंसा पाए।

हालांकि उन्होंने कहा कि सोरेन की विधायक के रूप में संभावित अयोग्यता पर निर्वाचन आयोग की राय के बारे में राज्यपाल द्वारा उन्हें सूचित करने के बाद भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय लिया जा सकता है।एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शुक्रवार को लातेहार आए सोरेन ने केंद्र पर निशाना साधते हुए सभी संवैधानिक एजेंसियों को लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि शैतानी ताकतें बुरे मंसूबों को अंजाम देने के लिए तैयार हैं।उन्होंने बाद में ट्वीट किया जब मैंने राज्य के लिए लंबित 1.36 लाख करोड़ रुपये का वैध बकाया मांगा, तो केंद्र ने मेरे खिलाफ सभी एजेंसी को लगा दिया। जब उन्होंने देखा कि वे मुझे नुकसान नहीं पहुंचा सकते, तो वे मुझ पर शिकंजा कसने के लिए गुरुजी को परेशान करने की कोशिश करने लगे।

मामले में याचिकाकर्ता भाजपा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा नौ (ए) का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की है। यह अधिनियम सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की इस धारा में कहा गया है ऐसे व्यक्ति को अयोग्य ठहराया जा सकता है जिसने भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण करते हुए उस सरकार के साथ अपने व्यापार या कारोबार के संदर्भ में कोई ऐसा अनुबंध किया है जो उसी सरकार को माल की आपूर्ति करने या उसके द्वारा किये जा रहे काम के निष्पादन के लिये किया गया है।

इस मुद्दे को राज्यपाल को भेजा गया जो निर्वाचन आयोग को अपनी राय भेजेंगे, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 192 में कहा गया है कि एक विधायक की अयोग्यता पर फैसला करने संबंधी मामला पहले राज्यपाल को भेजा जाएगा जो निर्वाचन आयोग की राय प्राप्त करेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे।

झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद का एक विधायक हैं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदन में 26 विधायक हैं।गठबंधन सहयोगियों ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि सरकार को कोई खतरा नहीं है। झामुमो ने विश्वास जताया था कि सोरेन 2024 तक पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे।

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