प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को फोन किया और उन्हें रमजान की बधाई दी। प्रधानमंत्री ने वैसे तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी को भी फोन किया और उन्हें रमजान की बधाई दी लेकिन शरीफ के साथ उनकी बातचीत के खास मायने निकाले जा रहे हैं। मोदी ने शरीफ को यह भी बताया कि भारत इस शुभ अवसर पर अपनी सीमा में घुस आए पाकिस्तानी मछुआरों को रिहा कर रहा है, ताकि वह अपने परिवार के साथ रमजान मना सके। मोदी ने बाद में अपने व्यक्तिगत ट्विटर हैंडल पर भी इसकी सूचना दी। सूत्रों के मुताबिक मोदी और शरीफ के बीच पांच मिनट ही बातचीत हुई है। बातचीत मुख्य तौर पर रमजान की बधाई और मछुआरों की रिहाई तक ही सीमित रही।
लेकिन इस बातचीत से दोनों देशों के बीच पिछले कुछ दिनों से चल रही तल्खी खत्म होने के आसार हैं। यह तल्खी तब से शुरू हुई है जब से मोदी ने बांग्लादेश यात्रा के दौरान पाकिस्तान से बांग्लादेश के अलग होने में भारतीय भूमिका की ओर संकेत किया। म्यांमार की सीमा के भीतर भारतीय सेना के आपरेशन के बाद रिश्तों में और तनाव आ गया है। सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन राठौर की तरफ से म्यांमार आपरेशन की आड़ में पाकिस्तान को चेतावनी देने से मामला और बिगड़ गया।
इसके जबाव में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके देश ने प्रदर्शनी लगाने के लिए अपने हथियार नहीं बनाए हैं। जानकारों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस तरह की तनावपूर्ण स्थिति वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद पैदा हुई थी। उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के बीच काफी तल्ख बयानबाजी हुई थी।