जेल में बंद सुब्रत रॉय को राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को राहत नहीं मिली। निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपए वापस करने से जुड़े मामले में सुब्रत रॉय की जमानत को लेकर
कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के वकीलों से कहा, ‘हम आपकी बैंक गारंटी को तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जब तक आप निवेशकों को पैसे कैसे लौटाएंगे, इस बारे में स्पष्ट योजना नहीं बताते। अगर बची हुई रकम (करीब पांच हजार करोड़) नहीं चुकाई गई तो बैंक गारंटी को इनकैश कर लिया जाएगा।’

 
इस बीच, आयकर विभाग के वकील ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि सहारा पर 7595 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स और 82 करोड़ रुपए का ब्याज बकाया है।
 
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान सहारा समूह ने आश्वासन दिया था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रॉय की रिहाई के लिए जरूरी बैंक गारंटी का इंतजाम बुधवार तक कर दिया जाएगा। अगर सेबी सहारा समूह की तरफ से मुहैया कराई गई बैंक गारंटी की पुष्टि करता है और सुब्रत रॉय की रिहाई पर आपत्ति नहीं जताता है, तो रॉय की रिहाई का रास्ता खुल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 67 साल के सुब्रत रॉय की जमानत के लिए 10 हजार करोड़ रुपए सेबी के पास जमा कराने की शर्त रखी है। इसमें से आधी रकम नकद जमा करानी है और आधी रकम की बैंक गारंटी देनी है। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपए न चुकाने के मामले में 4 मार्च, 2014 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के साथ उनके दो निदेशक रविशंकर दुबे और अशोक रॉय चौधरी भी 4 मार्च, 2014 से तिहाड़ जेल में कैद हैं।
 
मार्च में मिली थी तीन महीने की मोहलत
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को एक अंतिम मौका देते हुए इसी साल मार्च में पैसे जुटाने के लिए तीन माह का समय दिया था। कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि अगर तीन महीने में सहारा पैसे का बंदोबस्त नहीं कर सकेगा तो कोर्ट उसकी परिसंपत्तियों की नीलामी के लिए रिसीवर नियुक्त करेगी।
 
क्यों गए जेल?
सहारा समूह पर आरोप है कि उसने निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपए नहीं लौटाए हैं। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार सहारा समूह को निवेशकों के पैसे लौटाने को कहा गया था। लेकिन सेबी और सुप्रीम कोर्ट के कहने पर सहारा समूह टालमटोल करता रहा। सुप्रीम कोर्ट ने जब सुब्रत रॉय को अदालत में पेश होने को कहा तो वे आनाकानी करते रहे और कभी अपनी मां की तबीयत खराब होने तो कभी कुछ और कारण बताकर कोर्ट से कई सुनवाइयों पर गैरहाजिर रहे। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कड़ाई बरतते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि वे सुब्रत रॉय को कोर्ट में पेश करें। इसके बाद लखनऊ पुलिस ने सुब्रत रॉय को सहारा शहर, लखनऊ से लेकर दिल्ली पहुंची और कोर्ट में पेश किया।
 
सहारा का दावा
सहारा समूह यह दावा करता रहा है कि उसने ज्यादातर निवेशकों के पैसे लौटा दिए हैं और पूरे मामले में उसकी देनदारी 5 हजार करोड़ रुपए से कम बची है। सहारा के मुताबिक, उसने यह रकम भी सेबी के पास जमा करवा दी है। लेकिन सहारा समूह ने निवेशकों को पैसे किस तरह लौटाए, यह आज तक साफ नहीं हे सका है। उसने सेबी को उन निवेशकों के पते दिए थे, जिन्हें पैसा लौटाने का दावा किया गया था। जब सेबी ने उन निवेशकों से इस बारे में पूछने की कोशिश की तो कई पते फर्जी निकले थे। इससे सहारा के दावों पर सवाल खड़े हुए।
 
सहारा की कौन-सी कंपनियां हैं विवाद में?
सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (SIREC) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (SHIC) का सेबी से विवाद चल रहा है। 6 फरवरी, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और उनकी दोनों कंपनियों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुए सेबी को सहारा के खाते सीज करने और विवाद में फंसी दोनों कंपनियों की कुल संपत्तियों को जब्त करने को कहा था। इस आदेश के बाद 4 मार्च, 2014 को सुब्रत रॉय को जेल भेज दिया गया।

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