चीन के साथ संबंधों में भारत किसी भी दुस्साहस को सहन नहीं करेगा : बिपिन रावत

भारत और चीन दोनों को क्रमिक रूप से पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति बहाल करने में सक्षम होना चाहिए क्योंकि दोनों ही देश यह समझते हैं कि क्षेत्र में शांति और अमन स्थापित करना उनके सवरेत्तम हित में है। जनरल रावत एक विचारक संस्था के कार्यक्रम में बोल रहे थे।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, मैं यही कहूंगा कि अपनी निगरानी बढ़ाइए, तैयार रहिए, चीजों को हल्के में मत लीजिए। हमें किसी भी दुस्साहस और उस पर प्रतिक्रिया के लिए भी तैयार रहना चाहिए। हमने पूर्व में ऐसा किया है और भविष्य में भी ऐसा करेंगे।

लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के समाधान के बारे में जनरल रावत ने कहा कि विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्ष, राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इसमें वक्त लगेगा।

मुझे लगता है कि क्रमिक रूप से हम यथास्थिति हासिल करने में सक्षम होंगे क्योंकि अगर आप यथा स्थिति हासिल नहीं करेंगे, और ऐसी ही स्थिति में बने रहेंगे तो किसी समय यह दुस्साहस का कारण बन सकती है।

उन्होंने कहा, इसलिए, दोनों राष्ट्र यह समझते हैं कि यथास्थिति की बहाली क्षेत्र में अमन और शांति के सवरेत्तम हित में है, जिसके लिए हमारा देश प्रतिबद्ध है। यह पूछे जाने पर कि क्या गतिरोध के बचे हुए बदुओं से सैनिकों की वापसी की अपनी बात से चीन मुकर गया।

उन्होंने कहा कि दोनों तरफ संदेह है और भारत ने भी वहां काफी संख्या में अपने सैनिक और संसाधन भेजे हैं। सीडीएस ने कहा, दोनों तरफ संदेह है क्योंकि दूसरे पक्ष ने जहां अपने बलों को तैनात किया और अवसंरचना का निर्माण किया है, तो हम भी किसी से पीछे नहीं हैं।

हमने भी बड़ी संख्या में सैनिकों और संसाधनों की तैनाती की है। दोनों तरफ इस तरह का संदेह है कि क्या हो सकता है। क्षेत्र में चीन के बढ़ती सैन्य मौजूदगी से संबंधित खबरों के संदर्भ में सीडीएस ने कहा, मुझे लगता है कि उन्हें इसका एहसास है कि भारतीय सशस्त्र बलों को हलके में नहीं लिया जा सकता।

भारतीय सेना अब 1961 वाली सेना नहीं है। यह एक शक्तिशाली सशस्त्र बल है जिससे यूं ही पार नहीं पाया जा सकता। उन्होंने कहा, वे जिस चीज के पात्र हैं उसके लिए खड़े होंगे। मुझे लगता है कि इसका उन्हें एहसास है।

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