अब आपातकाल लगाना ठीक नहीं है

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अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि देश में आपातकाल अब संभव नहीं है क्योंकि डिजिटल युग में मीडिया सेंसरशिप संभव नहीं है और संविधान में संशोधन ने इस बात को सुनिश्चित किया है कि लोगों को बिना किसी कारण के हिरासत में नहीं लिया जा सकता। जेटली का यह बयान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के उस हालिया बयान के मद्देनजर आया है जिसमें कहा गया था कि भविष्य में आपातकाल से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा था, ‘लोकतंत्र को कुचलने वाली शक्तियां मजबूत हैं।’ वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर द्वारा लिखित पुस्तक ‘द इमरजेंसी’ के विमोचन के अवसर पर वित्त मंत्री ने कहा कि जनता पार्टी सरकार ने जो अच्छे काम किए थे उसमें एक था संविधान में संशोधन करना ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि आपातकाल के दौरान भी लोगों को बिना किसी कारण के हिरासत में नहीं लिया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘क्या उस स्थिति (आपातकाल) को दोबारा पैदा करना आज संभव है। मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसा नहीं सोचता हूं जिसका कारण है—–पहली बात की अब संविधान में प्रावधान किया गया है कि आपातकाल के दौरान भी अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) को निलंबित नहीं किया जा सकता। आप लोगों को बिना किसी कारण के हिरासत में नहीं ले सकते।’

उन्होंने कहा, ‘दूसरा कारण है, मेरा मानना है कि प्रौद्योगिकी की वजह से आज मीडिया सेंसरशिप संभव नहीं है। डिजिटल स्पेस, सैटेलाइट के साथ—-आज अगर आप सेंसरशिप लागू करते हैं तो उसे लागू करना बेहद कठिन है क्योंकि प्रौद्योगिकी किसी भी सेंसरशिप का उल्लंघन करेगी। इसलिए डर का माहौल पैदा करना और तब पूरे देश पर शासन करना संभव नहीं है।’

उधर, चेन्नई में, आपातकाल लगाने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री हषर्वर्धन ने कहा कि भाजपा नीत राजग ऐसा कभी नहीं करेगी और इसकी अपेक्षा ‘वंशवादी राजनीति’ करने वाली पार्टी से की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘भाजपा देश में कभी आपातकाल नहीं लगाएगी—-ऐसा कभी नहीं किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने जीवंत आंतरिक लोकतंत्र की व्यवस्था पर गर्व है।

उधर, कोलकाता से प्राप्त जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में ‘अनधिकारिक आपातकाल’ लाने के लिए तृणमूल कांग्रेस पर हमला करते हुए भाजपा नेतृत्व ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक के कामकाज के तरीके की तुलना इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी से की।

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