हनी ट्रैप केस मामले में जबलपुर से लेफ्टिनेंट कर्नल हिरासत में

आर्मी की इंटेलिजेंस विंग ने जबलपुर स्थित 506 आर्मी बेस वर्कशॉप से लेफ्टिनेंट कर्नल को हिरासत में लिया है। कर्नल के खिलाफ हनी ट्रैप और सेना के हाईली कॉन्फिडेंशियल पेपर लीक करने के मामले में यह कार्रवाई की गई। ऐसा कहा जा रहा है कि आईएसआई ने हनीट्रैप के जरिए उनसे खुफिया जानकारी हासिल की।

बता दें कि 6 दिन पहले इंटेलिजेंस विंग ने PAK को खुफिया जानकारी देने के आरोप में इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह को अरेस्ट किया था।आर्मी के इस अफसर को आईएसआई के लिए काम कर रही एक महिला ने फंसा लिया था। दोनों करीब छह महीने से संपर्क में थे।हाल ही में उसके अकाउंट में एक करोड़ की रकम ट्रांसफर हुई थी।

इसी के बाद से उन पर नजर रखी जा रही थी। जिस खाते से यह बड़ा अमाउंट आया, उसे भी संदेहास्पद माना जा रहा है।कर्नल के घर और ऑफिस में सोमवार रात को रेड डाली गई। रात के आठ बजे, एक साथ तकरीबन 16-17 आर्मी अफसरों की गाड़ियां आर्मी बेस वर्कशॉप में दाखिल हुईं।

कर्नल के दफ्तर में पूरी रात छानबीन चली और कुछ कम्प्यूटर और फाइलें जब्त की गई। बाद में मध्य भारत एरिया आर्मी हेड क्वार्टर ले जाकर भी पूछताछ की गई।आईटी अफसर ठीक पौने आठ बजे लेफ्टिनेंट कर्नल के साथ वर्कशॉप में दाखिल हुए। छानबीन इतनी लंबी चली कि सुबह के 8 बज गए। इसके बाद ऑफीसर्स बाहर निकले।

पूरी कार्यवाही लखनऊ आर्मी कमांड हेडक्वार्टर से ऑपरेट की गई। इस ऑपरेशन की सुपर सीनियर ऑफीसर्स ने वहीं से मॉनीटरिंग भी की। यह भी पता चला है कि एमबी एरिया से कुछ सीनियर ऑफिशियल्स को भी लखनऊ हेडक्वार्टर ले जाया गया है।पाक की आईएसआई को खुफिया जानकारी देने के आरोप में इंडियन एयरफोर्स के एक ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह (51) को 8 फरवरी को अरेस्ट किया गया था।

अरुण फेसबुक के जरिए दो महिलाओं के कॉन्टैक्ट में आया था। बाद में वह डॉक्युमेंट्स की फोटो खींचकर वॉट्सऐप के जरिए इन्फॉर्मेशन भेजने लगा।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसआई ने मिड दिसंबर में फेसबुक के जरिए हनीट्रैप किया। आईएसआई ने अरुण के फेसबुक अकाउंट पर कुछ मॉडल की तस्वीरें भेजीं। मारवाह ने करीब एक हफ्ते तक उनसे पर्सनल बातें कीं।

बाद में उसने एयरफोर्स की जानकारियां देना शुरू कर दिया।अरेस्ट करने के पहले अरुण को 31 जनवरी को हिरासत में लिया गया था।पाक खुफिया एजेंसी ISI भारत में जासूसी करने के लिए हनीट्रैप का सहारा लेती है। इसमें जवानों को टारगेट किया जाता है।2015 में रंजीत केके नाम के एक एयरमैन को अरेस्ट किया गया था।

बर्खास्त होने से पहले वह बठिंडा बेस पर तैनात था। उसे दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच, सैन्य खुफिया और एयरफोर्स यूनिट ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर पकड़ा था। उसे एक पाकिस्तानी महिला एजेंट ने अपने जाल में फंसाया था।छानबीन से पता चला था कि मामले की शुरुआत फेसबुक चैटिंग से हुई थी।

पाकिस्तानी एजेंट उससे फेक फेसबुक अकाउंट के जरिए बातचीत करती थी। महिला एजेंट ने रंजीत को जॉब ऑफर करने के बहाने संपर्क किया था।दोनों के बीच बातचीत फेसबुक, स्काइप और वॉट्सऐप पर हुई थी। इस दौरान रंजीत ने ऐसी कई खुफिया जानकारियां एजेंट को दे दीं।

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