नई सुबह की पहली किरण के इन्तजार में….!

अन्ना की आंधी इस देश में नया सबेरा लाएगी इसका यकीन हर उस हिन्दुस्तानी को हो गया है जो इस आजाद भारत से भ्रष्टाचार मिटाने की वकालत करता सड़क पर चिल्ला रहा है…इस देश में आज करोडो अन्ना उठ खड़े हुए है जो एक स्वर में जन-लोकपाल क़ानून की वकालत कर रहे है…मंगलवार यानी १६ अगस्त को अन्ना हजारे को जेल भेजकर सरकार ने देशवासियों को सन १९७५ के आपातकाल की याद दिला दी सरकार ने अन्ना  को जेल भेजा लेकिन उसके असर से केवल चंद घंटे तक ही बेखर रह सकी…शाम होते-होते सरकार को समझ आ गया की उन्होंने क्या कर दिया है,दुसरे शब्दों में कहूँ तो करीब १३ घंटे में सरकार दोनों खाने चित्त हो गई…पल-पल बदलते माहोल ने सरकार को इस नतीजे पर पहुचने पर मजबूर कर दिया की अन्ना को जेल से तत्काल रिहाई दे दी जाए…सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाकर लोकतंत्र के साथ केवल अन्याय ही किया…सरकार ने ये सार्वजनिक कर दिया कि उनकी नीतियों का जो भी खुलकर विरोध करेगा उसकी आवाज़ को कुचलने में कोई कोर कसर नही छोड़ी जाएगी…सरकारों के लिए सत्ता कि लड़ाई में हत्याएं करवाना,अपहरण जैसी घटनाओं को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिलाना अब आम हो चला है…इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा आश्चर्य कि बात तो ये है कि सरकार ने जिस व्यक्ति का अपमान किया है वो आज भी उस कमेटी का सदस्य है जिस कमेटी ने ड्राफ्ट बिल तैयार करने का काम किया है…आज कपिल सिब्बल हो या केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम या फिर अम्बिका सोनी,ये अन्ना को भला-बुरा कहकर स्वयं का अपमान ज्यादा कर रहे है…यक़ीनन देश की सत्ता संभाल रहे सियासी सुरमा इस बात को नही समझ पा रहे है या फिर समझ कर अनजान बनने की कोशिश कर रहे है,हकीकत जो भी है लेकिन जनता उनके बयानों को समझ भी रही है और करतूतों पर अब आवाज़ भी मुखर करने लगी है

वैसे ये बात तो अब आईने की तरह साफ़ हो गई है की सरकार एक व्यक्ति की ललकार से काफी डर चुकी है,अन्ना की ललकार में सरकार को करोडो देशवासियों की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी है,यही वजह है कि अन्ना के खिलाफ चिल्ला रहे सुरमा भीगी बिल्ली बनकर अपने बयानों की गूंज को स्वयं ही सुन रहे है…इधर सरकार पूरी तरह से बेक फूट पर आ गई है,अन्ना सरकार के गले की हड्डी बन गए है जिसे सरकार ना निगल पा रही है ना उगल पा रही है…ये पूरा का पूरा मामला योग गुरु बाबा रामदेव से काफी अलग है,बेहद संवेदनशील मामला मानकर सरकार अब फूंक-फूंक कर कदम रखेगी ये माना जा सकता है…अन्ना के साथ जितने भी तरह के सरकारी अड़ंगे सरकार लगाती जायेगी उतनी ही तादात अन्ना के पीछे खड़ी नजर आएगी…वैसे भी कांग्रेस के खाते में चल रहे टू.जी. घोटाले,खेल प्रकरण,शीला दीक्षित का मामला पहले ही कांग्रेस की हवा निकाले हुए है…अन्ना को मिलते व्यापक जन समर्थन में कई सियासी दल भी एक होते दिख रहे है,जो केंद्र सरकार के अलावा शीला सरकार के खिलाफ आग में घी डालने का काम कर रहे है…खैर अन्ना अनशन पर है,सरकार बार-बार अन्ना को मनाने की कोशिश में जुटी है अहिंसा की राह पर चलने का सन्देश पहले ही गांधीवादी अन्ना हजारे अपने समर्थको को दे चुके है….भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी है,देश के सभी हिस्सों में हर वर्ग,हर उम्र का इंसान खुद को अन्ना समझ रहा है जाहिर है ये जोश यही जज्बा इस देश की कमजोर होती जड़ो को मजबूती देगा…मुझे लगता है आज़ाद हिन्दुस्तान में नया सबेरा जल्द होने वाला है….उसी उम्मीद में उस नई सुबह की पहली किरण के इन्तजार में आज भी बैठा हूँ ………..!

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