Scientific Benefits of Havan । हम हवन क्यों करते है जानिए

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Scientific Benefits of Havan : सनातन धर्म में हर किसी क्रिया का अपना महत्व होता है, सनातन धर्म की हर क्रिया, कर्म-कांड आदि सभी विज्ञान की कसौटी पर खरे उतरते हैं। हवन का भी अपना महत्व होता है, हवन एक प्राचीन रिवाज है जो देवताओं को हविष्य देने के लिए किया जाता है। हवन करने से माना जाता है कि भगवान इससे प्रसन्न होते हैं और हमें आपना आशीर्वाद देते हैं। आज हम आपको हवन के बारे में ही बतायेंगे, कि हवन क्यों किया जाता है।

यह सभी तथ्य हमने अनेक स्रोतों से प्राप्त कियें है और जन-मानस के कल्याण के लिए हम यहां आपको बता रहे हैं।हवन  करने को ‘देवयज्ञ’ कहा जाता है।  हवन में सात पेड़ों की समिधाएँ (लकड़ियाँ) सबसे उपयुक्त होतीं हैं- आम, बड़, पीपल, ढाक, जाँटी, जामुन और शमी। हवन करने से मन में शुद्धता और सकारात्मकता बढ़ती है । हमारे पुराने और हर प्रकार के रोग और शोक मिटते हैं। इससे हमारा गृहस्थ जीवन पुष्ट होता है।हवन करने के लिए किसी वृक्ष को काटा नहीं जाता, ऐसा करने वाले धर्म विरुद्ध आचरण करते हैं।

जंगल से समिधाएँ बीनकर लाई जाती है अर्थात जो पत्ते, टहनियाँ या लकड़िया वृक्ष से स्वत: ही धरती पर गिर पड़े हैं उन्हें ही हवन के लिए चयन किया जाता है। परमात्मा प्रकृति का प्रेमी है यदि हम पेडों को हवन के लिए काटेंगे तो इससे परमात्मा तो नाराज होगें ही, वरन यह हमारे प्रर्यावरण के लिए भयानक नुकसान देना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए प्राचीन धर्म – विचारकों ने हवन का यह उत्तम नियम बनाया है।

वैश्वदेवयज्ञ को भूत यज्ञ भी कहते हैं। पंच महाभूत से ही मानव शरीर है।  सभी प्राणियों तथा वृक्षों के प्रति करुणा और कर्त्तव्य समझना उन्हें अन्न-जल देना ही भूत यज्ञ या वैश्वदेव यज्ञ कहलाता है। अर्थात जो कुछ भी भोजन कक्ष में भोजनार्थ सिद्ध हो उसका कुछ अंश उसी अग्नि में होम करें जिससे भोजन पकाया गया है।अर्जित धन को सत्कर्मों में लगाने को ‘यज्ञ’ कहा गया है। यज्ञ का अर्थ केवल अग्नि को समिधा समर्पित करना मात्र नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, यज्ञशिष्टाशिनः संतो कारणात् यानी, हम जो अर्पित करते हैं, उसमें देवता, ऋषि, पितर, पशु-पक्षी, वृक्ष-लता आदि का भाग है।

हम इन सभी से कुछ न कुछ प्राप्त करते हैं, अतः इन सभी के ऋणी हैं। अतएव इनका भाग इन्हें यथायोग्य दे देना यज्ञ है। इसलिए प्राचीन काल से ही भोजन तैयार करते समय पहली रोटी गाय के लिए, एक रोटी कुत्ते आदि मूक प्राणी के लिए रखने का प्रचलन है। कहा गया है, ‘जो मनुष्य अपनी अर्जित आय में से सभी का भाग देने के बाद बचे हुए अन्न को खाता है, वह अमृत खाता है।

जो ऋण न चुकाकर, धन को अपना समझ अकेला हड़प जाता है, वह पाप का भागी बनता है।हवन करना सनातन धर्म की एक उत्तम विधि है हवन में सिर्फ गाय के घी का प्रयोग करें तो बहुत उत्तम होता है। गाय का घी होने से प्रर्यावरण को ना के बराबर नुकसान पहुँचता है। हवन में होने वाले मंत्रो के नाद से देवता प्रसन्न होते हैं और प्रकृति को फिर से जीवनदान देते हैं।

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