बच्चों के लिए बढ़ता इंटरनेट का क्रेज कहां तक सही

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नए दौर के बच्चों पर किए गए एक रिसर्च से पता चला है कि टैबलेट इस्तेमाल करने वाले बच्चों की संख्या बड़ी तेज़ी से बढ़ी है।हालांकि रिसर्च से ये भी पता चला है कि टैबलेट इस्तेमाल के समय का उपयोग मां-बाप बच्चों को सज़ा या ईनाम देने के लिए कर रहे हैं।

टीवी से ज़्यादा इंटरनेट

बच्चों का वक्त टीवी देखने से ज्यादा अब ऑनलाइन गतिविधियों में बीत रहा है।रिसर्च के लिए ब्रिटेन के 2,000 से ज्यादा बच्चों से बात की गई जिनकी उम्र 5 से 16 साल के बीच थीबच्चे लैपटॉप की तुलना में भी टैबलेट के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं और परिवारों में मोलभाव के लिए इसका खूब इस्तेमाल हो रहा है।

इनाम भी सज़ा भी

रिसर्च में कहा गया है, “मां बाप टैबलेट को पसंद करते हैं क्योंकि इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। बच्चों को अच्छे या खराब व्यवहार पर टैबलेट दिया या वापस लिया जा सकता है। यह काम डेस्कटॉप कंप्यूटर में संभव नहीं है।”टेबलेट के एप बच्चों को अच्छे कामों के लिए ईनाम के तौर पर मिल सकती है। रिसर्च निदेशक साइमन लेगेट का कहना है कि टेबलेट कंप्यूटर बच्चों की निजी जागीर समझी जाने लगी है और ऐसे में इन पर रोक लगाने की बहस बहुत भारी विषय बन गया है।

इंटरनेट बुनियादी अधिकार

बच्चों के पालन पोषण से जुड़ी वेबसाइट नेटमम्स की संपादक कैथी रैन्सन का कहना है, “इंटरनेट तक पहुंच को युवा बुनियादी अधिकारों के रूप में देखने लगे हैं यह अब विशेषाधिकार नहीं रहा। बच्चों को इससे दूर रखने का मतलब उन्हें आदिम युग में धकेलने जैसा समझा जाने लगा है।”रैनसन ने ये चेतावनी भी दी है कि बच्चों के टैबलेट के साथ ज़्यादा वक्त बिताने के कारण परिवार के साथ गुजरने वाले खट्टे-मीठे पलों में कमी आई है।

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