नदिया किनारे निमिया रोपल उजे अशह-बिशह निमिया पसरल। ताहि तर खाड़ भेल बेटी सुनयना बेटी हे। काहे बेटी तोरा मुखहूं मलिन भेल हे।लोकगीतों में नीम, शादी के उबटन में शामिल नीम, ससुराल जाती लड़की की यादों में बसा नीम, विरहा के यादों का साथी नीम, आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाला नीम हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत ही उपयोगी माना जाता है। लोक गीतों में इसकी ठंडी छांव की तुलना तो माता-पिता के प्यार से की जाती रही है। बचपन की ढेर सारी यादों में बसा नीम। स्कूल से लौटते हुए नीम की सूखी पत्तियों को अपनी कॉपी के पन्नों पर गिरने की कामना लिए घंटों खड़े रहते सब सहपाठी, और जैसे ही कोई पत्ती किसी बच्चे की कॉपी पर गिरती मान लेते कि पढ़ाई में इस बार तो वही अव्वल आएगा।
सिर्फ अनुभूति के स्तर पर ही नीम अप्रतिम नहीं है, उसकी औषधीय महत्ता छाल, टहनी, दातुन, पत्तियां, निबौरिया, फूल इन सबके रूप में प्रकट होती है। सच ही है जिस घर में नीम का एक पेड़ है। वहां से बहुत सारी बीमारियां तो अपने-आप दूर हो जाती हैं। नीम से जुड़े छोटे-छोटे नुस्खे जिन्हें अपनाकर हम बीमारियों से काफी हद तक छुटकारा पा सकती हैं।गर्मियों में इन्फेक्शन की वजह से त्वचा संबंधी परेशानियां ज्यादा होती हैं, जैसे खुजली, खराश आदि। इसके लिए नीम का लेप फायदेमंद रहता है। यह सभी प्रकार के चर्म रोगों के निवारण में सहायक है।
नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है।नीम की पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहां मलेरिया नहीं फैलता है।
नीम के द्वारा बनाया गया लेप बालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।इसके अलावा भी नीम के बहुत से फायदे हैं, तभी तो इसे संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, ‘श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।’ अंगिका की ये कहावत भी चैत्र मास में नीम की महत्ता को अच्छी तरह दर्शाती है।चैतो के नीम बैशाखो के बेल, जेठ मास पनियौतो ठेल।