मूली का हमारे जीवन में महत्व

Radish

* मूली और उसके हरे -हरे पत्ते पेट को ठीक रखने के लिए बहुत अच्छे होते हैं । हमेशा पानी से अच्छी तरह धोकर ही मूली या उसके पत्ते खाने चाहिए ।

* अगर कान में दर्द है या साँय साँय की आवाज़ आती है तो 200 ग्राम मूली के पत्तों में 50 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं । जब केवल तेल रह जाए तो इसे शीशी में भरकर रख लें । इस तेल की बूँदें कान में डालने से कान की पीड़ा से छुटकारा मिलता है ।

* आँखों में जाला या लालिमा है तो मूली के स्वच्छ रस में कुछ पानी मिलाकर आँखे डुबोकर धोएं ।

* मूली क्षार श्वास के रोगों व खांसी की अचूक दवा है । इसे बनाने के लिए मूली के टुकड़े करके उन्हें छाया में सुखा लें। फिर इनको जलाकर राख बना लें । इस राख में 8 गुना पानी मिलाकर 6-7 घंटे रख दें । बीच बीच में हिलाते रहें । इसके बाद ऊपर से निथार दें। नीचे जो मटमैला सा अवशेष बचेगा , वही मूली क्षार है । इसे सुखाकर रख लें । यह श्वास रोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है . अगर छोटे बच्चे को खांसी है तो 100 मि0 ग्रा0 पावडर को शहद में मिलाकर चटाएं । बड़ा व्यक्ति 12 ग्राम पावडर शहद के साथ ले सकता है ।

* पथरी होने पर मूली क्षार सवेरे सवेरे लें . Kidney stone होने पर मूली का रस एक कप की मात्रा में सुबह सुबह खाली पेट ले लें । इससे आगे चलकर दोबारा पथरी बनने की संभावना भी कम हो जाएगी ।

* पीलिया या jaundice की बीमारी के लिए मूली अमृत है । मूली का रस सवेरे सवेरे एक कप पी लें । दिन में मूली की सब्जी खाएं । पीलिया की

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