बीमारी के लिए भी मूली अमृततुल्य है ।
* अगर acidity की समस्या है तो मूली के पत्तों का सेवन किया जा सकता है । मूली का रस भी इस समस्या से मुक्ति दिलाता है ।
* लीवर या spleen बढ़े हुए हों , पेट दर्द , या पेट में अफारा हो तो मूली के चार टुकड़े कर लें । इस के ऊपर 3-4 ग्राम नौशादर बुरक लें । रात भर ऐसे ही रहने दें । सवेरे मूली के टुकड़ों के साथ थोडा पानी भी दिखाई देगा । खाली पेट पहले इस पानी को पी लें । फिर मूली के टुकड़े चबा चबाकर खाएं । बच्चों के लिए नौशादर की मात्रा कम रखें । यह कुछ समय तक ही करना है । इससे शत प्रतिशत लाभ मिलता है । यह संतों द्वारा अनुभूत गोपनीय प्रयोग है और पूरी तरह प्रमाणिक है ।
* मूली को प्रात:काल सोना , दिन के समय चाँदी , और रात को मल के समान माना गया है । रात को मूली का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिए । यह भी कहा जाता है कि मूली खाकर जंगल जाना चाहिए और अदरक खाकर सभा में बैठना चाहिए । अर्थात मूली के सेवन के बाद थोडा अदरक का टुकड़ा खा लिया जाए तो मूली की डकार नहीं आती और मूली भली भाँति पच भी जाती है ।
* मूली को भोजन से एकदम पहले नहीं लेना चाहिए । यह अपचन का कारण बन सकती है । नाश्ते से आधा घंटा पहले मूली खाई जा सकती है । या फिर आधा खाना खा चुकने के बाद मूली खाएँ । इस प्रकार मूली अधिक लाभकारी रहेगी । मूली खाने के बाद दूध या दही नहीं खाना चाहिए ।
* इसके बीजों के पावडर में मिश्री मिलाकर एक चम्मच सवेरे दूध के साथ लेने से शक्ति में वृद्धि होती है ।
* इसकी सूखी पत्तियों का पावडर सवेरे लेने से बवासीर और अफारे में आराम आता है ।
* पेट के रोग ठीक करने हों तो मूली को काली मिर्च और काला नमक लगाकर खाएँ….
* मूली में फॉलिक एसिड, विटामिन सी और एंथोकाइनिन की भरमार होती है। ये तत्व शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं। यह माना जाता है कि मुंह, पेट, आंत और किडनी के कैंसर से लड़ने में यह बहुत सहायक होती है।
* मूली खाने से शरीर की विषैली गैस (कार्बन डाई ऑक्साइड) का निष्कासन होता है तथा जीवनदायी ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। मूली