Astrological Remedies for Bad Planetary Effects । ग्रहों से मुक्ति के लिए कौन सी पूजा करवानी चाहिए जानिए

Astrological Remedies for Bad Planetary Effects :- हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। इन अदृश्य शक्तियों को ही आम जन ऊपरी बाधाओं की संज्ञा देते हैं। भारतीय ज्योतिष में ऐसे कतिपय योगों का उल्लेख है जिनके घटित होने की स्थिति में ये शक्तियां शक्रिय हो उठती हैं और उन योगों के जातकों के जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव डाल देती हैं।

जब कोई व्यक्ति का जन्म लेता है तो उस समय के हिसाब से उसकी ग्रह दशा निर्धारित हो जाती है। जो उसके सम्पूर्ण जीवन की कलाविधियों को तय करता है। आपके जीवन में कितने संकट आएंगे, आपके जीवन में आपको किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ये सारी चीजें उसी समय तय हो जाती है। सभी पर अलग-अलग प्रकार की ग्रहों का साया होता है।

भगवान शिव की पांच कलाएं उपनिषदों में वर्णित हैं, जो इस प्रकार हैं-

1.आनंद

2.विज्ञान

3.मन

4.प्राण

5.वाक

अपको बते दें उपनिषदों की व्याख्या के तहत जीवन में सुख प्राप्ति होती है। शिव के मृत्युंजय स्वरूप की आराधना आज से नहीं आदि काल से ही प्रचलित है। इनमें से चार भुजाओं में अमृत कलश रखा जाता हैं।जिसका अर्थ है की वो अमृत से स्नान करते हैं। इससे स्नान के पश्चात शिव अपने भक्तों को भी अजर-अमर कर देते हैं।

ये है मंत्र का अर्थ :- भोले नाथ की शक्ति अमृत से भरी हैं। महामृत्युंजय मंत्र का भाव है त्रियंबकम यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योमरुक्षीय मामृतात।। शिव के सूर्य, चंद्र एवं अग्नि के प्रतीक त्रिनेत्रों के कारण उन्हें त्रियंबकम कहा गया है। त्रियंबकम शिव के प्रति खुद को समर्पित करने की प्रक्रिया यजामहे है। जीवन दायी तत्वों को अपना सुगंधमय स्वरूप देकर विकृति से रक्षा करने वाले शिव सुगंधि पद में समाहित हैं। पोषण एवं लक्ष्मी की अभिवृद्धि करने वाले शिव पुष्टिवर्धनम् हैं।

रोग एवं अकालमृत्यु रूपी बंधनों से मुक्ति प्रदान करने वाले मृत्यंजय उर्वारुक मिव बंधनात पद में समाहित है। तीन प्रकार की मृत्यु से मुक्ति पाकर अमृतमय शिव से एकरूपता की याचना मृत्योमरुक्षीय मामृतात पद में है। कैसे करें जाप महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि में साधक नित्यकर्म के बाद, आचमन-प्राणायाम करें।

घर के किसी भी सदस्य पर यदि किसी भी प्रकार की ग्रह दशा है, तो आप सात पंडितो के जरिए घर में 7 दिन तक जाप कराया जात है। इस दौरान आपके घर में राहु, केतू, शनि, बृहस्पति को प्रकोप शांत कराया जाता है। इस पूजा में एक लाख पच्चीस हजार बार महा मृत्युंजय जाप कराया जाता है। इस पूजा में जितना अधिक हो सके आप पंडितो की सेवा करें। इस बीच आप सभी कार्य पूरी श्रध्दा और पवित्रता से करें। इस जाप को उनके हाथों कराया जाता है, जिनके ऊपर ग्रहों का साया होता है। इस पूजा से सभी ग्रहों की समाप्ति हो जाती है।

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