Movie Review : फिल्म ओमर्टा

क्रिटिक रेटिंग  :  2.5/5

स्टार कास्ट  :  राजकुमार राव, राजेश तैलंग, रुपिंदर नागर, केवल अरोड़ा

डायरेक्टर  :  हंसल मेहता

प्रोड्यूसर         :  शैलेश आर. सिंह, नाहिद खान

म्यूजिक :  ईशान छाबड़ा

जॉनर  :  क्राइम ड्रामा

ड्यूरेशन  :  96 मिनट

डायरेक्टर हंसल मेहता की फिल्म ओमर्टा सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म एक ऐसे शख्स उमर सईद शेख (राजकुमार राव) की कहानी है जो ब्रिटेन का नागरिक और लंदन में रहता है। उमर 90 के दशक की शुरुआत में बोस्निया और फिलिस्तीन में मारे जा रहे मुस्लमानों के लिए इंसाफ चाहता है और उनके साथ हो रही नाइंसाफी के खिलाफ लड़ना चाहता है।

अपने इन्हीं जज्बातों को वो लंदन के एक मौलाना के साथ साझा करता है और फिर शुरू होता है जिहाद का सफर। 1994 में दिल्ली में कुछ विदेशी टूरिस्टों के किडनैप करने की घटना में उमर के शामिल होने से लेकर जेल में गुजारे वक्त और डेनियल (पत्रकार) की बेरहमी से की गई हत्या के आसपास घूमती है।

ओमर्टा का रिव्यू : हंसल मेहता ने इससे पहले फिल्म शाहिद बनाई थी जो लॉयर शाहिद आजीम की लाइफ पर बेस्ड थी। इस बार उन्होंने इस्लामिक मिलिटेंट अहमद उमर शेख की जर्नी पर फिल्म बनाई है, जिसने दुनियाभर में अपने साथी मुस्लिमों को इंसाफ दिलाने के नाम पर क्या कुछ नहीं किया।

शेख के खिलाफ कई आरोप हैं, जिनमें दिल्ली में चार विदेशियों का अपहरण, अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या और 9/11 के पीछे मास्टरमाइंड भी शामिल है। शेख वर्तमान में पाकिस्तान में जेल में हैं।मेहता ने मुकुल देव के साथ मिलकर कहानी लिखी है। लेकिन कहानी के कुछ हिस्सों ने निराश किया है, जिसे उन्होंने आतंकवादियों के जीवन से लिया है।

एक शख्स जो अच्छी फैमिली से है यूके आता और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का स्टूडेंट बनता है। एक धार्मिक कट्टरपंथी होने के नाते धीरे-धीरे कैसे वो एक आतंकवादी बन जाता है, ये देखना काफी इंट्रेस्टिंग है। मेहता ने फिल्म में उमर की लाइफ के बारे में ज्यादा रिवील नहीं किया सिवाए उसके पिता के, जिसका किरदार केवल अरोड़ा ने फिल्म में निभाया है।

फिल्म में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि उमर को कौन सी बातें प्रभावित करती है और वो अपने मुस्लिम भाइयों के समर्थन में उतर जाता है।मेहता ने शेख द्वारा दिल्ली में तीन ब्रिटिश मैन और एक अमेरिकी वुमन के अपहरण को फिल्म में हाईलाइट किया है। जिसके लिए उसे गाजियाबाद से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाता है।

फिल्म में 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट को हाईजैक कर और उसके बदले आतंकवादियों को रिहा करने की मांग को भी दिखाया गया है। हालांकि, मेहता ने फिल्म बनाने के लिए कहानी खुद ही चुनी थी और इसे अपने तरीके से पेश किया है। लेकिन वे आतंकवादी की कहानी को पेश करने में संतुलन नहीं बैठा पाए।

मेहता अंत तक ये बात समझाने में असमर्थ दिखे कि आखिर उन्होंने ये फिल्म बनाई क्यों है? अनुज प्रकाश धवन की सिनेमेटोग्राफी भी फिल्म में ठीक ही रही।राजकुमार राव ने अपने रोल के साथ इंसाफ किया है। वे पूरी फिल्म में छाए हुए हैं।

हमेशा अपनी एक्टिंग से प्रभावित करने वाले राजकुमार राव द्वारा फिल्म में बोले डायलॉग्स ज्यादा दमदार नहीं लगे। अन्य स्टार्स द्वारा निभाएं गए फिरंगी के किरदारों ने इम्प्रेस किया है। यदि राजकुमार राव की एक्टिंग पसंद करते हैं और ऑफबीट फिल्मों के शौकीन है तो ये फिल्म आप देख सकते हैं।

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