क्रिटिक रेटिंग : 3/5
स्टारकास्ट : स्वरा भास्कर, रिया शुक्ल, पंकज त्रिपाठी
डायरेक्टर : अश्विनी अय्यर तिवारी
प्रोड्यूसर : कलर येलो, जार पिक्चर्स
म्यूजिक : रोहन विनायक
जॉनर : ड्रामा
ऐड मेकिंग में नाम कमाने के बाद ‘निल बट्टे सन्नाटा’ के जरिए अश्विनी अय्यर तिवारी फिल्म डायरेक्टर भी बन गई हैं। आइए जानते हैं कि आखिर कैसी है ये फिल्म ?फिल्म की कहानी एक मां (चंदा सहाय) और उसकी बेटी अपेक्षा उर्फ़ अप्पू (रिया शुक्ला) की है। चंदा एक नौकरानी है जो चमड़े के जूते की फैक्ट्री में भी काम करती है ताकि उसकी बेटी के स्कूल की पढ़ाई और घर का खर्च चल सके।
लेकिन अप्पू का मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता और ख़ास तौर से उसका गणित में डब्बा गुल है जिसकी वजह से चंदा काफी परेशान रहती है। लेकिन बाद में कुछ ऐसा होता है जिसके कारण चंदा भी अप्पू के स्कूल में पढ़ाई करने के लिए चली जाती है। अब क्या चंदा की इतनी सारी कोशिशे अप्पू को समझा पाने में कामयाब रहती है? क्या अप्पू पढ़ायी के लिए सीरियस हो पाती है ? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
इस फिल्म की शूटिंग आगरा में की गयी है और डायरेक्शन के लिहाज से पूरी मेहनत स्क्रीन पर दिखाई देती है। अश्विनी अय्यर तिवारी ने शॉट्स के लिए लोकेशन्स का अच्छे से यूज किया है। एक कामवाली बाई के घर से लेकर स्कूल और गली-कूचे के सीन्स को अश्विनी ने काफी अच्छे से फिल्माया है और रोजमर्रा की जिंदगी के कई पलों को बखूबी पर्दे पर उतारा है।
फिल्म में आपको कमर्शियल फिल्मों जैसा मसाला तो देखने के लिए नहीं मिलेगा, लेकिन छोटे शहर में हर दिन की मशक्कत करती हुयी मां और उसकी बेटी की कहानी को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है।एक मां के किरदार को स्वरा भास्कर ने बखूबी निभाया है। वहीं बेटी के किरदार में रिया शुक्ला ने कहानी के हिसाब से बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है।
स्वरा और रिया के बीच सबसे ज्यादा सीन हैं और उन्हें निभाते हुए दोनों एक्टर्स ने अच्छा काम किया है। स्कूल के प्रिंसिपल के किरदार में पंकज त्रिपाठी ने लाजवाब एक्टिंग की है। रत्ना पाठक शाह का छोटा लेकिन बढ़िया रोल है।फिल्म के गाने, कहानी के साथ अच्छे से मैच करते हैं। रोहन विनायक ने अच्छा म्यूजिक दिया है।अगर आप रोजमर्रा की जिंदगी के हिस्सों को छू जाने वाली फिल्मों को पसंद करते हैं, तो यह फिल्म जरूर देखें।