दिल धड़कने दो मूवी रिव्यू

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कलाकारअनिल कपूर, रणवीर सिंह, प्रियंका चोपड़ा, अनुष्का शर्मा, फरहान अख्तर, शेफाली शाह, राहुल बोस, परमीत सेठी, रिद्धमा निर्देशक जोया अख्तर 

 मूवी टाइप  Drama अवधि170

क्रिटिक रिव्यूट्विटर पर चर्चा

यंग डायरेक्टर जोया अख्तर ने ग्लैमर इंडस्ट्री में करियर की शुरुआत ऐसी फिल्मों के साथ की जो दर्शकों की हर क्लास के बीच बेशक अपनी पहुंच ना बना पाई, लेकिन जोया की पिछली फिल्मों लक बाय चांस और जिंदगी ना मिलेगी दोबारा दर्शकों की ऐसी क्लास में अपनी पहचान बनाने में जरूर कामयाब रही, जिन्हें कुछ अलग और नया देखना पसंद है।

जोया की यह फिल्म आपसी रिश्तों की उस दूसरी परत की असलियत को सामने लाने का काम करती है जो ऊपर से बहुत खूबसूरत नजर आते हैं लेकिन अंदर से उतने ही खोखले होते हैं। यह फिल्म उस क्लास की कसौटी पर खरी ना उतर पाए जिन्हें फैमिली फिल्मों का जिक्र आते ही करण जौहर की कभी अलविदा ना कहना, या राजश्री बैनर की हम आपके है कौन, हम साथ-साथ हैं टाइप फिल्में याद आती है।

जोया की यह फिल्म उस क्लास की है जो हर वक्त पैसा, पावर और सोशल स्टेट्स को लेकर कुछ ज्यादा ही नर्वस है। इस फिल्म में ऐसे आपसी रिश्ते नजर आते हैं जिनके चेहरे की हंसी किसी छलावे से कम नहीं है, इस हंसी के पीछे की असलियत क्या है इस सच को यंग डायरेक्टर जोया ने ऐसे लुक में पेश करने की अच्छी पहल की है जो जेन एक्स की कसौटी पर फिट बैठने का दम रखते है। एक छत के नीचे रहते हुए भी मेहरा फैमिली के लोग एक दूसरे से अलग हैं।

कहानी: दिल्ली शहर की रईस मेहरा फैमिली एक छत के नीचे रहकर भी अपनी अलग बसाई दुनिया में जीती है। दूसरों की नजरों में शहर के प्रतिष्ठित नामी बिजनसमैन कमल मेहरा (अनिल कपूर) शहर की हैप्पी फैमिली है। दूसरी ओर इस फैमिली का हर मेंबर अपनी अलग जिंदगी जी रहा है। कमल मेहरा का ज्यादा वक्त अपने बिजनस को और आगे बढ़ाने में ऐसे कटा कि उनके पास अपनी पत्नी नीलम (शेफाली शाह) के लिए वक्त हीं नहीं बचा।

कमल साहब का बेटा कबीर मेहरा ( रणवीर सिंह) पायलट बनना चाहता है, लेकिन पापा को यह मंजूर नहीं सो कबीर चाहकर भी अपने दिल की बात उनसे शेयर नहीं कर पाता। कबीर की बहन आयशा मेहरा ( प्रियंका चोपड़ा) की शादी रईस बिजनसमैन मानव (राहुल बोस) से हो चुकी है। आयशा अपने पापा की कंपनी के मैनेजर के बेटे सनी (फरहान अख्तर) को चाहती थी लेकिन हालात ऐसे बने कि आयशा को फैमिली की मर्जी के चलते मानव से शादी करनी पड़ी।

बिजनस में जबर्दस्त घाटे के चलते कमल मेहरा पर बैंक कर्ज और ब्याज लगातार बढ़ रहा है। इन सबके बीच मेहरा साहब अपनी शादी की तीसवीं वर्षगांठ पर अपने खास दोस्तों और फैमिली सर्कल के साथ दस दिन का क्रूज ट्रिप प्लान करते हैं। दस दिन के इस क्रूज ट्रिप में कबीर की मुलाकात डांसर फराह (अनुष्का शर्मा) से होती है, लंदन बेस फराह को देखते ही कबीर उस पर मर मिटता है।

कबीर को नहीं मालूम कि बिजनस में हुए मोटे घाटे की भरपाई के लिए मेहरा साहब कबीर की शादी अपने दोस्त अरबपति दोस्त सूरी की बेटी नूरी (रिद्धमा) से करना चाहते है ताकि कंपनी के 49 फीसदी शेयर नूरी के रईस पापा खरीद ले। इसी क्रूज ट्रिप में मानव और आयशा के आपसी रिश्तों की सच्चाई उस वक्त सबके सामने आती है जब आयशा अपने पति मानव से तलाक लेने का फैसला करती है।

क्रूज में लंबे अर्से बाद आयशा और सनी की मुलाकात का प्रसंग दिलचस्प है। इस क्रूज ट्रिप के दौरान कमल मेहरा को एहसास होता है कि पिछले तीस सालों में उसने वाइफ नीलम को प्यार कम और टेंशन ज्यादा दी है। और हां, फिल्म की कहानी और किरदारों का जिक्र करते हुए हम एक खास किरदार प्लूटो मेहरा को मिस कर रहे है। प्लूटो नाम का यह प्यारा सा डॉगी मेहरा फैमिली का खास है, घर में इनके साथ रहने वाला प्लूटो इस क्रूज ट्रिप में मेहरा फैमिली के साथ है, और वहीं इस कहानी और कहानी के किरदारों का सूत्रधार भी है। लगे हाथ, आपको यह भी बता देते है इस सूत्रधार को आवाज आमिर खान ने दी है।

ऐक्टिंग: कमल मेहरा के किरदार में अनिल कपूर का जवाब नहीं। लंबे अर्से बाद नजर आई शेफाली शाह ने साबित किया अगर चांस मिले तो हर किरदार में वह आसानी से फिट हो सकती है। कबीर और आयशा मेहरा के किरदार में रणवीर और प्रियंका साबित करते हैं कि उन्हें किरदार को ईमानदारी से निभाना आता है। फरहान अख्तर को ज्यादा फुटेज नहीं मिली, लेकिन अपने किरदार में खूब जमे। अनुष्का शर्मा बस ठीकठाक रहीं।

डायरेक्शन: स्क्रिप्ट की डिमांड के चलते जोया ने फिल्म को इस्तांबुल, स्पेन, टर्की, ट्यूनिशिया, फ्रांस और इटली की लोकेशन पर शूट किया। अगर कहानी में ज्यादा किरदार हो तो हर किसी के साथ न्याय करना आसान नहीं होता, वहीं जोया ने इस उतरदायित्व को बखूबी निभाया है। बेशक, इसके चलते फिल्म लंबी हो गई तो इंटरवल के पहले कहानी की रफ्तार थम सी जाती है। लेकिन आखिरी तीस मिनट की फिल्म यकीनन दिल की धड़कने बढा देती है। जोया की यह फिल्म मल्टीप्लेक्स आडियंस और ए क्लास सेंटरों की उस क्लास को यकीनन पसंद आएगी जिन्हें मारामारी या बेफिजूल फैमिली ड्रामे को देखना पसंद नहीं।

संगीत: फिल्म का संगीत कहानी और माहौल के मुताबिक फिट है, अमृतसरी सॉन्ग का फिल्मांकन खूब बन पड़ा है। हां, इस बार जावेद अख्तर और शंकर एहसॉन लॉय वैसा जादू नहीं कर पाए जैसा जिदंगी ना मिलेगी दोबारा में पहले कर चुके है।

क्यों देंखे: बेहतरीन नयनाभिराम लोकेशन, अनिल-शैफाली शाह की गजब केमेस्ट्री। अगर आप बॉलिवुड चालू मसालों, ऐक्शन, सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों के शौकीन हैं तो अपसेट हो सकते हैं।

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