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हम भी हक़दार हैं, " भारत रत्न " के …

हमारे देश के अखबार आज किन ख़बरों से भरे पड़े रहते हैं ? ” IPL  “ में इस खिलाडी का धमाल , उस खिलाडी का कमाल , ” सोना-चांदी आसमान पर ” शेयर बाजार लुढ़का ” सचिन को भारत रत्न “ पाकिस्तानी राष्ट्रपति ” का दौरा , मिसाइल परिक्षण , ” राष्ट्रपति चुनाव “बैंक ब्याज दरें , सलमान – कैटरीना की …

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हम भी हक़दार हैं, ” भारत रत्न ” के …

हमारे देश के अखबार आज किन ख़बरों से भरे पड़े रहते हैं ? ” IPL  “ में इस खिलाडी का धमाल , उस खिलाडी का कमाल , ” सोना-चांदी आसमान पर ” शेयर बाजार लुढ़का ” सचिन को भारत रत्न “ पाकिस्तानी राष्ट्रपति ” का दौरा , मिसाइल परिक्षण , ” राष्ट्रपति चुनाव “बैंक ब्याज दरें , सलमान – कैटरीना की …

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इंटरनेट में एक दिन में क्या क्या नहीं घट जाता है!

इंटरनेट में एक दिन में बहुत कुछ घट जाता है. जरा नीचे दिए चित्र (साभार – टेकरिपब्लिक ब्लॉग) को देखें और अपने दांतों तले अपनी उंगली दबाएं! – टीप- चित्र आकार में बड़ा है इसलिए लोड होने में समय ले सकता है. और, आखिरी ग्राफिक्स को ध्यान से देखिए. एक दिन में 3.71 लाख बच्चे जन्म लेते हैं, जबकि उतने …

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ऊंची दुकान पर बिकते फीके पकवान…

“ऊंची दुकान-फीके पकवान” ये कहावत हमने कई बार सुनी है ! तात्पर्य जिसकी जरुरत से ज्यादा प्रशंसा   की गयी हो और वो प्रसंशा के लायक ही ना हो ! ऐसा हमारे देश में आये दिन होता है ! आपने टेलीविजन पर एक विज्ञापन जरूर देखा होगा ” ऊंचे लोग – ऊंची पसंद “ मैं ऐसे सभी ऊंचे लोगों को नमन …

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समय के साथ विलुप्त होती जा रही "फगुआ संस्कृति"

यूँ तो मैं पैदा गाँव में ही हुआ था,लेकिन पिता जी की सरकारी नौकरी कह लीजिए या मेरा  अपनी माँ के प्रति अगाध  प्रेम  की वजह ,  मै पांच वर्ष की अवस्था में शहर आ गया था | यानि पिताजी ने मेरा नामांकन शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय में करवा दिया था ,फलतः अब मै अपनी माँ के साथ, पिताजी के साथ रहता था |शुरू से ही मुझे  स्कूल एक यातनागृह लगता था ,वहां तो खैर किसी तरह चला …

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समय के साथ विलुप्त होती जा रही “फगुआ संस्कृति”

यूँ तो मैं पैदा गाँव में ही हुआ था,लेकिन पिता जी की सरकारी नौकरी कह लीजिए या मेरा  अपनी माँ के प्रति अगाध  प्रेम  की वजह ,  मै पांच वर्ष की अवस्था में शहर आ गया था | यानि पिताजी ने मेरा नामांकन शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय में करवा दिया था ,फलतः अब मै अपनी माँ के साथ, पिताजी के साथ रहता था |शुरू से ही मुझे  स्कूल एक यातनागृह लगता था ,वहां तो खैर किसी तरह चला …

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हां, मैंने वोट नहीं डाला

मुझे 18 साल की उम्र में वोट डालने का अधिकार मिल गया था. मैंने एक-दो बार वोट डाला भी, लेकिन अब की बार मैंने वोट नहीं डाला, आगे डालना भी नहीं चाहता. चुनाव आयोग, सरकार, राजनीतिक दल, तमाम एनजीओ सभी चाहते थे कि मैं वोट डालूं लेकिन मैंने वोट नहीं डाला. और मैं इस अपराध के लिए शर्मिंदा भी नहीं …

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दस सालः भारी गुज़रती है रात

गुजरात दंगों के दस साल बीत गए. भारतीय इतिहास के माथे पर लगी इस कालिख को कौन भुला सकता है. शिवप्रसाद जोशी उठा रहे हैं कुछ सवाल जो हमेशा से प्रासंगिक रहे हैं – गुजरात. दस साल से जैसे एक रात में सोए हुए हों और हड़बड़ाकर उठे फिर सो गए हों. नींद नींद नींद. एक बेसुधी. रेहान फ़ज़ल को …

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समय की धुंध में खोया मोची

लोगों को एक स्थान से दूसरी जगह ले जाते हैं पैर। यदि थोड़ी देर चलने पर ही आपके पैर दर्द भरी चुभन से जवाब दे जाएं तो आप क्या करेंगेघ् आपकी कोमल त्वचा के बेशकीमती पैरों पर आपका शरीर टिका हुआ हैए और इस महत्वपूर्ण भाग को महफूज रखने की जिम्मेदारी है फुटवियर की। फुटवियर का काम करने वाले मोची …

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भगवान हो रहा अमीर पे अमीर…

अभी दो दिन पहले ही खबर सुनी थी कि, १० दिनों में देश के अमीर मंदिर ट्रस्ट शिर्डी के साईं बाबा पर १४ करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा , चढ़ावा गया। हमारे देश में भले ही गरीबों की संख्या बड़ रही हो किन्तु भगवान हफ्ते दर हफ्ते अमीर और अमीर होता जा रहा है ! इससे पहले भी कर्नाटक की …

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