नारी सम्मान की हकदार है, सही है
प्यार की दरकार है, सही है।
क्या फर्क पड़ता है हम बेटी हों, बहु हों
जिस घर में भी हों, सही हों।
अपने सपनों को उड़ान दो,
उस डाल पर बैठो जहाँ बड़ो की छांव हों।
सम्मान की कमी कहीं नहीं है,
यदि नारी बेटी हों या बहु हों सही है।
बरगद जितना घना हों उसकी गरिमा वही है,
तुलसी आंगन में रहे उसकी महिमा वही है।
गर सम्मान हमें न मिला होता,
तो आकाश की ऊंचाईयों में हम नहीं होते
पानी की गहराईयों में हम नहीं होते
न मिले होते ये गद्गी सिंघासन
चमकती चांदनी के जुगनू हम नहीं होते।
यदि शंकाओ में जीते रहेंगे, हर उस करीबे से यही कहेगें,
अकेले हम कुछ कर के दीखायेंगे ज़माने को
तो क्या खाक जीत पायेंगे ज़माने को।
दीवार का सहारा लेने से गुरेज़ है
पर उसकी ईंट तो बन सकते है
फ़साने लिखने हैं मगर उस कलम की स्याही
हमारे प्यार की दवात हों
नाम रोशन तभी होता है, जब वो करीब हमारे अपने हों
नारी की गरिमा तभी है जब उसकी महिमा में उसका कोई अपना हों
हकीकत का आईना आज भी यही है
आज भी माँ हमारे यहाँ पुजय्नीय है
बहन आज भी राखी मैं जीती है
पत्नी आज भी आधा अंग है
मदर्स डे मनाते है विश्व मैं सभी
भारत में हर दिन मदर्स डे होता है
नारी तू नारायणी है।
इंडिया हल्ला बोल