……रिश्ते खो जाते हैं कहीं!

वक्त कि धुल में रिश्ते खो जाते हैं कहीं
कल जो अपने थे,
आज गैरों में नजर आते हैं वही …
सुबह वही शाम वही,
पर रिश्ते खो जाते हैं कहीं ….!

ख़ुशी में आंशु में
जो होते थे साथ कभी,
आज सालों बाद
वो नजर आते हैं दूर कहीं
वक्त कि धुल में रिश्ते खो जाते हैं कहीं!

जिनके साथ बचपन में
सपने सजाया करते थे
आज जब मिलते हैं
तो सपने छिपाया करते हैं
कल जंहा प्रेम था
आज स्वार्थ हैं वहीं ……

वक्त की धुल में रिश्ते खो जाते हैं कहीं!

स्नेहा जायसवाल

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