कुलभूषण जाधव को फांसी मामले में पाकिस्तान नरम नहीं पड़ेगा

पाकिस्तान के पीएम और आर्मी चीफ ने कहा है कि वे कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा के मामले में किसी के दबाव में नहीं आएंगे। भारत के सख्त रुख के बाद पाक पीएम नवाज शरीफ बुधवार को आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से मिले। शरीफ ने बाजवा से सेना की तैयारी, सुरक्षा और सीमा के हालात की जानकारी ली। यह बाजवा और शरीफ के बीच पहली सीधी बातचीत थी। 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक पाकिस्तान के समा टीवी चैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है जनरल बाजवा पीएम शरीफ से मिले और जाधव मामले में उन्हें भरोसे में लिया। दोनों इस बात पर रजामंद हुए कि वे किसी के दबाव में नहीं आएंगे।बता दें कि पाक की मिलिट्री कोर्ट ने इंडियन सिटीजन जाधव को फांसी की सजा सुनाई है और जनरल बाजवा ने भी इसे मंजूरी दे दी है।

उधर, भारत ने चेतावनी दी है कि जाधव को फांसी देने की सूरत में पाकिस्तान अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे।बाजवा ने शरीफ को आतंकवाद के खिलाफ सेना द्वारा शुरू किए अभियान राद उल फसाद के बारे में भी बताया।पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा है कि जाधव को पाकिस्तान तुरंत सजा नहीं देगा।

अभी वह तीन मंचों पर इस सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। आसिफ ने संसद में यह बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ अपील के लिए जाधव के पास 60 दिन हैं। इसके बाद भी वह सेना प्रमुख और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर कर सकते हैं। 

हालांकि, जानकारों की मानें तो पाकिस्तान आर्मी एक्ट की धारा 131 के तहत सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ 40 दिन में ही अपील करनी होती है।इस बीच, सीनियर वकील राम जेठमलानी ने कहा है भारत को पहले जाधव के खिलाफ सैन्य अदालत के फैसले की कॉपी मांगनी चाहिए। इससे ही साफ हो पाएगा कि आखिर उन्हें किस आधार पर सजा सुनाई गई है।

तभी हमें पता चल सकेगा कि यह सजा सही है या गलत। अगर सजा का कोई ठोस आधार नहीं मिला तो भारत का केस और मजबूत होगा।उधर, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासीर जंजुआ ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान हमेशा दुश्मन बनकर नहीं रह सकते। दोनों को आपसी मुद्दे सुलझाने ही होंगे। कनाडाई उच्चायुक्त पैरी कैल्डरवुड से बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही।

सुषमा स्वराज ने जाधव को बचाने के लिए बेहतर से बेहतर वकील करने की बात कही है, लेकिन इंडियन एक्सपर्ट मान रहे हैं कि पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना के खिलाफ शायद ही कोई वकील जाधव का केस पकड़े। हालांकि, पाकिस्तान में भी कुछ ऐसे वकील और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट हैं, जो जाधव की जान बचाने में अहम रोल निभा सकते हैं.

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