60 घंटे में यूरोप के दो देशों पर कब्जा कर सकता है रूस

Vladimir-Putin

रूसी फोर्सेस अगले 60 घंटे में दो ईस्ट यूरोपीय देशों पर कब्जा कर सकती है। इसकी वजह नाटो फोर्सेस द्वारा एस्टोनिया और लातविया की सिक्युरिटी नहीं कर पाने को बताया गया है। एक यूएस थिंक टैंक रैंड कॉरपोरेशन की ताजा एनालिसिस में ये दावा किया गया है। इससे पहले रूस यूक्रेन के क्रीमिया पर भी कब्जा कर चुका है।1990 में सोवियत यूनियन के खत्म होने के बाद एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया समेत कई देश यूरोपियन यूनियन में शामिल हो गए थे।

रूस एक बार फिर से सोवियत यूनियन के बिखरे हुए देशों पर कब्जा करना चाहता है। रूस का दावा रहा है कि पूर्व सोवियत के इन देशों में बड़ी संख्या में रूसी आबादी रहती है।बता दें कि एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया को बाल्टिक कंट्रीज कहा जाता है, क्योंकि इनकी सीमा बाल्टिक सागर से लगी हुई है।अगले 36-60 घंटे के बीच रूसी फोर्सेस एस्टोनियाई कैपिटल ताल्लिन और लातविया के रीगा पर कब्जा कर लेंगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) फोर्सेस को रूस के अटैक से निपटने के लिए कहा गया है।बताया जा रहा है कि रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन के वेस्ट कंट्रीज से रिलेशन लगातार बिगड़ रहे हैं।बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीडन ने गोटलैंड आइलैंड में एक कोल्ड वॉर छेड़ दिया है। स्वीडन का मानना है कि उसे रूस से खतरा है।स्वीडन के सुप्रीम कमांडर जनरल माइकल बाइडेन के मुताबिक, यह हमारे सामने बड़ी चुनौतियों में से एक है। अब देखना ये है कि वे क्या करते हैं।

रूस लातवियाई बॉर्डर पर दो तरफ से बड़ी संख्या में आर्म्ड फोर्स भेज सकता है। रूस की ये फोर्सेस लाटविया और नाटो सेनाओं से लड़ेगी।अगर लातविया में रूसी फोर्सेस जीत जाती हैं, तो दूसरी बटालियन एस्टोनिया में दाखिल होकर कैपिटल ताल्लिन पर कब्जा करेगी।थिंक टैंक ने 2014 से 2015 के बीच यह एनालिसिस किया था।

इसके मुताबिक, यह स्थिति इसलिए बनी, क्योंकि नाटो ने अपने सबसे ज्यादा निशाने पर रहने वाले मेंबर्स कंट्रीज की सिक्युरिटी नहीं की।रिपोर्ट में यूएस एयरफोर्स और बाल्टिक ट्रूप्स को रूस के खिलाफ मुस्तैद रहने को लेकर अलर्ट किया गया था।रिपोर्ट में बताया गया है कि नाटो की 12 बटालियन के पास लड़ाकू टैंक नहीं हैं। इस स्थिति में वह रूस के रोक पाने में कैपेबल नहीं है।

वहीं, रूसी फोर्सेस हर तरह के हथियारों से लैस है।रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूस के खतरे से निपटने के लिए नाटो को अपनी फोर्सेस में इजाफा करना होगा।2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर अपना हिस्सा डिक्लेयर कर दिया था।कब्जे के बाद खुद पुतिन यूक्रेन पहुंचे थे और सेवास्तोपोल पोर्ट पर स्पीच दी थी।1945 में नाजियों पर रूस की विक्ट्री की याद में ये प्रोग्राम ऑर्गनाइज हुआ था।

वहीं, यूक्रेन की सरकार ने पुतिन के दौरे को अपनी संप्रभुता में दखल बताया था।सेकंड वर्ल्ड वॉर (1939-45) के दौरान जब जर्मनी ने रूस पर अटैक किया था, तो उसमें यूक्रेन भी शामिल था। इसके बाद 1954 में क्रीमिया यूक्रेन के एडमिनिस्ट्रेशन के तहत आ गया।सोवियत यूनियन के टूटने के बाद भी रूस ने क्रीमिया में अपनी सैन्य मौजूदगी बनाए रखी।क्रीमिया की ज्यादातर आबादी अपने आप को रूस से जोड़कर देखती है।

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