जी-20 समिट में सभी देशों के बीच हुई आतंकवाद पर बातचीत

जी-20 समिट में पहले दिन आतंकवाद पर बातचीत हुई। मीटिंग के आखिर में ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया कि सभी नेताओं ने एकमत से आतंकवाद की कड़ी निंदा की और इसके खिलाफ एक साथ लड़ने पर जोर दिया। साथ ही सभी ने कहा कि दुनिया के हर हिस्से से आतंकियों की पनाहगाहों खत्म किया जाना चाहिए।

इस समिट के पहले दिन आतंकवाद से निपटने के लिए आतंकवाद से जुड़ी जानकारी साझा करने जैसे 21 प्वाइंट्स पर एक साथ काम करने पर जोर दिया गया। इस बात पर भी राय बनी कि आतंकवाद के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल न हो, इसके लिए सभी साथ मिलकर काम करेंगे।

इन नेताओं ने कहा कि आतंकवाद का खात्मा तभी संभव है, जब आतंकियों को पूरी दुनिया में कहीं भी सुरक्षित पनाह और मदद के लिए पैसा न मिले।ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया कि आतंकवाद एक ग्लोबल डिसीज है। सभी को मिलकर इससे लड़ने की जरूरत है।जी-20 देशों के नेताओं ने आतंक के लिए फाइनेंशियल मदद न करने और एकसाथ इसका बायकॉट करने का संकल्प लिया।

इसके अलावा एक दूसरे की मदद करने की बात भी कही।नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को G-20 देशों से आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाने की मांग की। पाकिस्तान का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा- कुछ देश सियासी फायदा उठाने के लिए टेरेरिज्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। लश्कर हो या जैश या फिर, आईएस या अल कायदा, इन आतंकी संगठनों के नाम अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन विचारधार एक जैसी है।

आतंकवाद के खिलाफ कुछ देशों का रवैया कमजोर है।मोदी ने कहा- ग्रुप 20 के देशों को उन देशों के ऑफिशियल्स को अपने यहां एंट्री पर बैन लगाना चाहिए जो आतंकवाद को समर्थन देेते हैं, इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ 11 प्वॉइंट का एक्शन एजेंडा भी पेश किया। इस बात की जानकारी फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने दी।

जी-20 का मतलब ग्रुप 20 से है। ये दुनिया के 20 ताकतवर देशों और यूरोपीय यूनियन (ईयू) देशों का समूह है। इसकी स्थापना 1999 में 7 देशों अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्रांस और इटली के विदेश मंत्रियों ने की थी। लेकिन 2008 में फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद इस फोरम की अगुआई ग्रुप के देशों के शीर्ष नेताओं को दे दी गई।

इस ग्रुप का दुनिया की 85 फीसदी इकोनॉमी औऱ 75 फीसदी व्यापार पर कंट्रोल है। अमेरिका, कनाडा, रूस, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत समेत 20 देश हर साल समिट में मिलते हैं और दुनिया के आर्थिक हालात समेत कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

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