अमेरिका में तीन भारतीयों ने यह आरोप कबूल कर लिया है कि उन्होंने अपने स्कूल के फायदे के लिए स्टूडेंट वीजा और वित्तीय मदद से जुड़े फर्जीवाड़े की साजिश रची थी। सुरेश हीरानंदानी (61) और ललित छाबड़िया (54) व अनीता छाबड़िया (50) को सह-प्रतिवादियों समीर हीरानंदानी और सीमा शाह के साथ मई 2014 में गिरफ्तार किया गया था। अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग की जांच के बाद इन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। सुरेश और ललित व अनीता ने गुरुवार को मैनहैटन स्थित संघीय अदालत में स्टूडेंट वीजा और वित्तीय सहायता फर्जीवाड़े की साजिश के आरोप स्वीकार कर लिए। वे वीजा फर्जीवाड़े की साजिश के मामले में अमेरिका सरकार को 74 लाख डॉलर और छात्र वित्तीय सहायता फर्जीवाड़े से अमेरिकी शिक्षा विभाग को हुए नुकसान के लिए 10 लाख डॉलर का जुर्माना देने पर भी सहमत हो गए। इस मामले में तीनों को 10 साल तक की कैद हो सकती है। उन्हें इस साल सितंबर में सजा सुनाई जाएगी। समीर (28) और सीमा शाह (42) के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप लंबित हैं। मैनहैटन के अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भराड़ा ने कहा कि तीनों ने अपने वित्तीय फायदे के उद्देश्य से हमारे देश के छात्र वीजा और घरेलू छात्र वित्तीय सहायता कार्यक्रम का फायदा उठाने के लिए अपने स्कूलों को फर्जीवाड़े के साधन में तब्दील कर दिया।
यह था मामला
यह मामला माइक्रोपावर करियर इंस्टिट्यूट से जुड़ा है जिसकी न्यू यॉर्क और न्यू जर्सी में पांच ब्रांच हैं। साथ ही, इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ एजुकेशन नाम से न्यू जर्सी में भी एक अन्य इंस्टिट्यूट है। हीरानंदानी इसके अध्यक्ष थे जबकि उनके साले ललित उपाध्यक्ष थे, उनकी बहन अनीता भी वीसी थीं। इन तीनों ने ही इमिग्रेशन विभाग से यह बात छिपाई कि उनके संस्थानों में पढ़ रहे विदेशी स्टूडेंट्स क्लास अटेंड नहीं कर रहे हैं। जबकि अमेरिकी कानून के तहत स्टूडेंट वीजा पर आने वाले हर विदेशी नागरिक के लिए स्कूल में फुलटाइम पढ़ाई करना जरूरी है।