तालिबान के शासन में अफगानिस्तान के नए चीफ जस्टिस बन सकते है मुल्ला हकीम

तालिबान राजनीतिक व्यवस्था के लिए ईरानी मॉडल अपनाने की तैयारी में है. कंधार में तालिबान के शीर्ष नेतृत्व के बीच पिछले 4 दिनों से बातचीत चल रही है और लगभग एक सप्ताह के भीतर सरकार गठन की घोषणा होने की संभावना है.तालिबान का सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा होगा और उसके अधीन सर्वोच्च परिषद होगी.

काउंसिल में 11 या 72 सदस्य हो सकते हैं, जिनकी संख्या अभी भी तय की जा रही है. अफगानिस्तान के सूत्रों के हवालवे से दिलचस्प बात यह है कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा कंधार में रहेगा. कंधार तालिबान की पारंपरिक राजधानी रही है.

इसके अलावा एग्जीक्यूटिव आर्म का नेतृत्व प्रधानमंत्री करेंगे, जिसके अधीन मंत्रिपरिषद होगी. इस पद के लिए संभावित नामों में अब्दुल गनी बरादर या मुल्ला बरादर या मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब शामिल हैं.

मुल्ला उमर ने 1996 में अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की स्थापना की और 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ विरोध का नेतृत्व किया. 9/11 के हमलों के बाद अफगानिस्तान पर अमेरिकी आक्रमण के बाद उमर को बाहर कर दिया गया था.

इस बीच तालिबान ने 1964/65 के अफगान संविधान को बहाल करने की योजना बनाई है, जिसे तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद दाउद खान ने बनाया था. संविधान का परिवर्तन प्रतीकात्मक है क्योंकि वर्तमान संविधान विदेशी ताकतों के तहत तैयार किया गया था.

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