चीन ने एक बार फिर भारत का प्रस्ताव ठुकराया

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एलएसी की स्थिति स्पष्ट करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव को चीन ने खारिज कर दिया है। चीन का कहना है कि वह सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ नियमावली (कोड ऑफ कंडक्ट) तय करने वाला समझौता करने को तरजीह देगा। प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर चीन की ओर से पहली प्रतिक्रिया के तौर पर चीनी विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के डिप्टी डायरेक्टर जनरल हुआंग शिलियन ने कहा कि एलएसी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के पिछले प्रयासों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। सीमावर्ती इलाकों में हम जो कुछ भी करें वह रचनात्मक होना चाहिए। हमारे प्रयास वार्ता की प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करने वाले होने चाहिए न कि बाधक बनने वाले। शिलियन ने कहा कि यदि हमें लगता है कि एलएसी पर स्पष्टीकरण वार्ता प्रक्रिया को मजबूत करने वाले हैं तो हम आगे बढ़ेंगे, लेकिन यदि हमें लगता है कि यह बाधा पहुंचाने वाले कदम हैं तो स्थिति जटिल हो जाएगी। हमें इसको लेकर सावधान रहना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी की पिछले माह हुई तीन दिवसीय चीन यात्रा के परिणाम को लेकर भारतीय मीडिया के एक शिष्टमंडल से चर्चा में शिलियन ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमें कुछ व्यापक उपायों की जरूरत है, न कि सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के लिए महज किसी एक उपाय की। हम कोड ऑफ कंडक्ट को लेकर समझौता करने के लिए प्रयास कर सकते हैं। एलएसी पर स्थिति स्पष्ट करने के मोदी के प्रस्ताव से परहेज का कारण पूछे जाने पर हुआंग ने कहा कि कुछ साल पहले ऐसे प्रयास किए जा चुके हैं लेकिन इन्हें मुश्किलों से जूझना पड़ा था। हमने कुछ साल पहले स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की थी लेकिन इससे स्थिति और जटिल हो गई थी। यही कारण है कि हमें जो कुछ भी करना होगा वह शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने में उपयोगी होना चाहिए न कि स्थिति को और जटिल बनाने वाला। चीन भारत से साथ करीब 2,000 किलोमीटर लंबी सीमा को विवादित बताता है जिसमें मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश का इलाका ही है, जबकि भारत विवादित सीमा रेखा की लंबाई 4,000 किलोमीटर मानता है जिसमें अक्साई चिन का इलाका शामिल है।

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